विपक्ष की ये कैसी घटिया राजनीति है ? सपा का नेता जाहिल अखिलेश कोरोना वैक्सीन को बीजेपी की वैक्सीन बता रहा । काँग्रेस का दिग्गज और सोनिया का करीबी राशिद अल्वी इसे विपक्ष को खत्म करने की साजिश । कोई इसे नपुसंक करने वाला इंजेक्शन । विरोध की राजनीति के चक्कर में और कितना नीचे गिरोगे । तुम जैसे लोग अपनी माँ की कोख को और कितना शर्मिदा करोगे ? तुम्हारी माताएँ भी सोच रही होगी की ऐसे निर्लज्ज और बुद्धिहीन प्राणियों को जन्म ही क्यों दिया ? शर्म करो और डूब मरो । धिक्कार है तुम लोगो पर ।
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ये दुनिया एक भीड़ है । जब तक हम भीड़ के साथ चले तो तब तक सबके लिए अच्छे है । जैसे ही भीड़ से हटे और अपनी पहचान बनानी शुरू की तो दुनिया की नजर में हम बुरे बनने शुरू हो जाते है । दार्शनिक अरस्तू सही था तो उन्हें जहर दिया । बुद्ध को पीसा कांच खिलाया । ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया । सीता को अग्नि परीक्षा देनी पड़ी । जब कोई इंसान आम लोगों से हटकर सोचने लगे तो दुनिया की तिकड़म शुरू हो जायेगी । पहले भी ऐसा हुआ और आगे भी ऐसा ही होता रहेगा। यही सफलता की शुरुआत है । दुनिया की तिकड़मो को नजरअंदाज करो । बस अपना काम शिद्दत से करो और लोगो को उनका करने दो।
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जैसे ही सूरज ऊगा
उससे मेने सवाल दागा
जरा बताओ
आज नया क्या है ?
सूरज ने पलटकर जवाब दिया-
तू इंसान है
ख़ुशी के लिए
एक दिन का बहाना तलाशता ।
एक में हु
तुम्हे रोशन करने
पुरे 365 दिन खुद को जलाता ।-
मन की अँधेरी गुफा में पलने वाले एहसास एक उफनती नदी की तरह होते है । समय-समय पर ये उफनती नदी अपने तटबंधों को तोड़ अलग-अलग दिशाओं में बहने लगती है ।
शब्दो के इस सैलाब में हमे लगता है कि जो हमे कहना था वो कह दिया परन्तु ऐसा होता नही । काफी कुछ कहने के बाद भी कुछ अनछुआ रह जाता । उस अव्यक्त को व्यक्त न कर पाने की पीड़ा ही हमे हर बार शब्दो के सैलाब में बह जाने के लिए प्रेरित करती है ।-
नाचने वाली कठपुतलियां सबको दिखाई पड़ती है परंतु उन्हें नचाने वाली अंगुलिया किसी को दिखाई नही देती । और अफ़सोस इसी बात का है कि वो अदृश्य अंगुलिया किसान नही है ।
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मेरे लिए देश पहले । मेरी fb लिस्ट में ऐसे लोग जो सिर्फ अपने फोटो डालने के लिए ही fb पर है और मेरी लिस्ट में है वो मुझे unfriend कर दे । जो इस देश के लिए एक शब्द नही लिख पाये वो मेरे किसी काम का नही । इसके पहले की में ऐसे लोगो को ब्लॉक कर दू आप खुद मुझे unfriend कर दे ।
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विनम्र निवेदन
दोस्तों पुरे कोरोना काल में एक शिक्षक की भूमिका का निर्वहन करते हुए मेने विद्दयार्थियो के लिए 200 से ज्यादा वीडियो बनाये और ये सतत साधना अब भी जारी है। ताकि गरीब बच्चो को घर बैठे निशुल्क शिक्षा मिल सके । मैने गाँव के ऊंन बच्चो के बारे में सोचा जिनके लिए कही कोई मदद नही थी । मैरे चैनल को 4000 घण्टो से ज्यादा देखा भी जा चूका है। परन्तु subcriber की संख्या सिर्फ 500 ही है । यदि 1000 तक होती तो शायद मुझे यू ट्यूब से कुछ आर्थिक संबल मिल जाता। फेसबुक पर मेरे 5000 से अधिक दोस्त है। आपको सिर्फ एक मिनिट ही लगेगा । यू ट्यूब पर जाकर shankar joshi सर्च कीजिये और subcribe का बटन दबाये । सिर्फ विनम्र प्रार्थना ही कर सकता हु ।आपका एक मिनिट मुझे नैतिक साहस देगा ।-
फ्रांस में कोई कार्टून बनाये तो गलत । उसकी गर्दन काट दी जाए वो सही । तस्लीमा नसरीन सच का आइना दिखाये तो वो गलत । उसके लिए फतवा जारी कर दिया जाए वो सही । देशभक्त अंकित शर्मा गलत और उसकी निर्मम हत्या कर दी जाये वो सही। नूपुर धर्म न बदले तो गलत। उसे गोली मार दी जाये वो सही। ओवैशी, आजम देश के खिलाफ बयान दे तो सही और योगी देशभक्ति की बात करे तो गलत । आखिर इतना नीचता भरा सेलेक्टिव माइंड लाते कहाँ से हो ? गलत और सही के बीच हर बार धर्म को क्यों खड़ा कर देते हो ?-
मुंगलो की गुलामी के पिछले 700 साल से लेकर 2014 तक टुकड़ो में बटा भारतीय हिन्दू दुनिया की नज़रों में धर्मनिरपेक्ष बना रहा क्यों की वो सिर्फ सवालों के जवाब ही देता था । परंतु 2014 के बाद से जब संगठित हिन्दू अपनी तरफ से सवाल उठाने लगा तो उसके माथे पर साम्प्रदायिक लिख दिया । सैकड़ो सालो से जब हिन्दू प्रताड़ित होता रहा और बर्दाश्त करता रहा तब तक वो दुनिया की नजर में आदर्शवादी बना रहा पर जब वही हिन्दू 2014 के बाद प्रताड़ना के खिलाफ अपनी आवाज मुखर करने लगा तो कट्टर हिन्दू कहा जाने लगा । अहिंसा का गांधीवादी जूठा बाना ओढ़कर अपनी गौरवशाली संस्कृति को मरते हुए देखने से तो बेहतर है कि कट्टर हिन्दू बनकर अपने देश के गौरव को बचा ले ।
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वक़्त का परिंदा
जब शाखों पर आ बैठा।
नई हरी कोपलों की दस्तक हुई
पुराने पीले पत्तो को
ज़मीदोज़ होना ही पड़ा ।
ये वक़्त का स्याह दौर है
चिता की राख में भी हमने
जीवंत कोपलों को फूटते देखा है ।-