दुनिया जमाने से किनारा करने लगा हूं मैं
नहीं मालूम उजाला या अंधेरा करने लगा हूं मैं,
दिखावे का अपनापन नहीं पसंद अब मुझको,
अपने-आप से ही अब गुज़ारा करने लगा हूं मैं।
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अपनी नाराज़गी भी हम सबको मुस्कुराकर जताते हैं,
बस इसीलिए हमारा दर्द लोग समझ नहीं पाते हैं।।-
अपनी नाराज़गी भी हम सबको मुस्कुराकर जताते हैं,
बस इसीलिए हमारा दर्द लोग समझ नहीं पाते हैं।।-
अपनी नाराज़गी भी हम सबको मुस्कुराकर जताते हैं,
बस इसीलिए हमारा दर्द लोग समझ नहीं पाते हैं।।-
मोहब्बत हो या नफ़रत सब स्वीकार करता हूं,
मैं ने कब कहा कि जमाने से मैं प्यार करता हूं।-
दिल जलता है तो दिल जलाने भी आता है,
मुझे मुहब्बत प्यार वफा निभाने भी आता है।
मिट जाने का हुनर भी आता है जमाने पर ,
दिल उदास हो तो सब कुछ मिटाने भी आता है।-
अब दिल में ना जाने क्यूं मेरे दर्द नहीं होता,
अब बस दिमाग ख़राब होता है और बदले की भावना आती है।-
दिल में दर्द होता है मगर अब मुझे फर्क नहीं पड़ता,
ऐ जिन्दगी मुझे मत आजमा मुझे तुझसे डर नहीं लगता।-
बहुत ही सोच समझकर जमाने में कदम रखता हूं,
मुझे मालूम है लोग अपने स्तर पर ही खींच लाते हैं।-
अपने घर के मसले आपस में ही सुलझा लिया करो,
ग़ैरों को शामिल करोगे, तो बर्बादी तयं है।-