~~~Shankar Kashyap🍒   (~~~Shankar)
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Joined 16 July 2020


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Joined 16 July 2020
4 JAN AT 16:00

कठोर हूं पर साफ़ हूं इक शीशा हूं मैं
ठोकर पड़ी तो बिखर जाऊंगा!!

बता देना गलतियों को माफ़ कर देना
यकिन मानो मैं सुधर जाऊंगा!!

तेरे सिवा मेरा कोई नहीं है
जाऊंगा भी तो किधर जाऊंगा!!

समेट लेना मुझे सीने से लगा लेना
तेरी धड़कनों में सांसों में उतर जाऊंगा!!

सारे खयालात मेरे तुझसे होकर गुजरते हैं
जाऊंगा भी तो तेरे ही शहर जाऊंगा!!

ठिकाना आशियाना बस तेरे दिल तक ही है
पनाह ना मिली तो मैं मर जाऊंगा!!
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1 NOV 2023 AT 21:10

ये ज़ख्म , ये दर्द , ये आसूं जिसे इत्तेफ़ाक लगता है.....
😄😄😄
शायद उसे मेरा ईश्क सिर्फ़ मज़ाक लगता है....!!
😌😌😌😌😌😌😌

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1 NOV 2023 AT 14:16

गहरा दर्द भरा घाव हूं मैं......
हर दफा नासूर किया जाता हूं......!!
ना ज़माने से बनती है ना खुशियों से......
मैं खुशियों से हर दफा दूर किया जाता हूं.....!!
सरलता और सहजता किसी को पसंद नहीं
मैं हर दफा ख़ुद से मगरुर किया जाता हूं......!!
चाहते हुए भी दिल की नहीं सुनता.....
दिल की ना सुनने पर मजबूर किया जाता हूं.....!!
😌😌😌😌😌😌😌😌😌😌😌😌

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14 OCT 2023 AT 6:49

ये चाहतें , ये इरादें बस सीने में दबा लेता हूं....🙂
मेरी खुदा से मांगी हर हसरत इन्कार चली जाती हैं
मेरी तड़पती रूह का दर्द कोई नहीं समझता....🙂
उसे पाने की लाख कोशिशें बेकार चली जाती हैं
😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔

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22 SEP 2023 AT 6:19

मेरी धड़कने,मेरे शिकवे और मेरी फरियादें
मुझे नहीं लगता तुझे सुनाई देगा.....!!
मेरी रूह मेरा ज़मीर और मेरी इनायतें
मुझे नहीं लगता तुझे दिखाईं देगा.....!!
ये दगा ये बेवफाई और झूठी झूठी कसमें
तुझे नहीं लगता कोई दुहाई देगा......!!
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17 SEP 2023 AT 22:11

सादा खाना सादा लिबाज़ सादा है ये दर्पण
मेरे घर का एक भी कोना रंगीन नहीं है....!!

किराए के घरों में भटकता फिरता हूं
आज भी मेरी ख़ुद की ज़मीन नहीं है....!!

उमस , मजबूरी ,बेबसी और लाचारी
इन सब से बढ़कर कोई तौहीन नहीं है....!!

ज़िंदगी से अच्छी मुझे मौत मुकम्मल हो
मेरे ख़ुदा को भी मुझ पर यकीन नहीं है....!!
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17 SEP 2023 AT 7:57

दर बदर भटकता हूं , अपना दिल दुखाता हूं....
थक कर मैं फिर ख़ुद में ही लौट आता हूं....

ख़ुद को दर्द देता हूं , मैं ख़ुद को आजमाता हूं....
ख़ुद को बहलाकर मैं ख़ुद में लौट आता हूं....

शिकवा करता हूं , मैं ख़ुद ही सिर झुकाता हूं....
कहां जाऊं मैं , मुझ ही में लौट आता हूं.....

ख़ुद ही जलता हूं , ख़ुद को आंखे दिखाता हूं.....
मनाता हूं ख़ुद को , मैं मुझ ही में लौट आता हूं.....
🚬🚬🚬🚬🚬🚬🚬🚬🚬🚬🚬🚬🚬

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15 SEP 2023 AT 14:40

कोई मौसम में ढल रहा है
मौसम के साथ बदल जाएगा....!!!
रातों में निकलने वाला चांद
दोपहर में भी निकल जायेगा......!!!
दस दिन की दिवाली का दिया है
कल फिर से जल जाएगा......!!!!
ये नक़ाब आफताब के सामने रख दो
किसको किस से कितनी
और कैसी मोहब्बत है
सब पता चल जाएगा......!!!
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15 SEP 2023 AT 8:09

अब तो खुशियां झोली में भर भर कर हैं.....
पर अब खुशियों को पीने का मन नहीं करता.....!!
अब दर्द मुझे राहत सी लगने लगी है.....
इन जख्मों को सीने का मन नहीं करता.....!!
टूट चूका हूं मैं , अब बिखर चुका हूं मैं.....
मुझे अब जीने का मन नहीं करता.....!!
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15 AUG 2023 AT 20:53

तेरा गुरुर तेरी चालाकियां और तेरी बातें
इक तेरे लहज़े से ही आंक लेता हूं.....!!!
ना बताने की जरूरत है.......🙂
ना दिखाने की जरूरत है......🙂
मैं तेरी आंखों में सब कुछ झाँक लेता हूं.....!!!
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