दर बदर भटकता हूं , अपना दिल दुखाता हूं....
थक कर मैं फिर ख़ुद में ही लौट आता हूं....
ख़ुद को दर्द देता हूं , मैं ख़ुद को आजमाता हूं....
ख़ुद को बहलाकर मैं ख़ुद में लौट आता हूं....
शिकवा करता हूं , मैं ख़ुद ही सिर झुकाता हूं....
कहां जाऊं मैं , मुझ ही में लौट आता हूं.....
ख़ुद ही जलता हूं , ख़ुद को आंखे दिखाता हूं.....
मनाता हूं ख़ुद को , मैं मुझ ही में लौट आता हूं.....
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