Shankar Jha   (शंकर झा)
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Joined 10 May 2018


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7 DEC 2022 AT 8:01

और सुबह हो गई और फिर
दोपहर और जल्दी ही शाम फिर से
पर उसका आना जैसे एक सोच बन गया है
जो बस ऐसे ही उम्र गुजारती रहे पर
इंतज़ार कभी ख़त्म न होने दे

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23 NOV 2022 AT 10:05

छोटे से जीवन में अपनों के साथ और
अपनों को पाकर जीवन बड़ा हो जाता है
अपनों का साथ हो तो आसमान की ऊंचाई भी
धरातल ही लगता है और सब सहज हो जाता है

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18 OCT 2022 AT 17:51

बस सफर ही अब मंज़िल सा हुआ है
न तो खत्म हो रहा और न इसकी चाहत है

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10 OCT 2022 AT 20:04

बाहर और भीतर
तन- मन और पूरे बदन को
और अंतरतम को भिगा दिया।

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12 SEP 2022 AT 8:55

हवायें‌ खुशबू भर दे सांसों में
मुस्कराहट ला दे तन- बदन में
तो मतलब जीवन को फिर से
एक बार नया जीवन मिल गया
चाहे वह जीवन के किसी मोड़ पर
या किसी भी पड़ाव पर ही क्यों न हो
और इसके लिए तो जीवन को
कहना चाहिए बहुत बहुत शुक्रिया

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29 JUL 2022 AT 20:41

सूखती है कविता भी
जब सूखने लगती हैं
भावनाएं और यंत्र वत
हो जातें हैं हम और
हमारे विचार..
फिर पड़ जाता है
शब्दों का अकाल
जीवन हो जाता है जड़ वत
बहुत जल्दी समाप्त हो जाता है
चक्र जीवन और अभिनय का
बहाव में बहुत से अभिनेता बहतें रहते हैं
बहाव कभी धीमी तो कभी तेज़
और कभी कभी अत्यधिक तेज़ हो जाता है
और बहुत से अभिनेता कतार में खड़े हैं
बहुतों का अभिनय चल रहा है
और कुछ बहाव संग बह रहें हैं
तो कुछ अचानक बह गए....

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1 MAY 2022 AT 7:50

वे ज्यादा सोचते नहीं
जिन्हें कुछ करना होता है
और जो बस सोचते रह जाते हैं
वे ज्यादा कुछ कर नहीं पाते हैं
सोचने और करने के बीच
जितनी कम दूरी होगी
कार्य उतना ही परिलक्षित होगा
निर्णय कोई भी उचित या अनुचित नहीं है
उसे उचित या अनुचित बनाती है हमारी
दृढ़ता, संवेदनशीलता और कर्तव्य- परायणता
जीवन के प्रति दृष्टिकोण, और लक्ष्य के प्रति निष्ठा
इन सबका मिश्रण भर देता है
उपलब्धियों में सुगंध और अपनेपन में शाश्वतता
और फिर निर्णय बस होते रहते हैं
और लक्ष्य प्राप्त होते रहते हैं

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16 MAR 2022 AT 0:43

जीवन में समय समय पर खेल होते रहते हैं
और बड़ी बड़ी घटनाएं भी हो जाती हैं
पर फिर भी जीवन चलता रहता है
और लोग बिछड़ते रहते हैं
और फिर जीवन भी समाप्त हो जाता है
कभी किसी का तो कभी किसी का
लेकिन ये खेल रुकने वाला नहीं है
और सिलसिला ये कभी थमने वाला नहीं है
शांत निर्भीक और प्रेम से परिपूर्ण हो जीवन
तभी हो पायेगा कुछ सकारात्मक
और जीवन में शाश्वत की बरसात

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2 FEB 2022 AT 8:36

कुछ लोगों की मोहब्बत मुकम्मल नहीं होती
शायद इसे यादगार बनाने के लिए— % &

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28 JAN 2022 AT 22:30

जीवन भर के लिए सज़ा बन गई
तुम्हारी एक ग़लती
हमें तुमसे जुदा कर गई
तुम्हारी एक ग़लती
ग़लती करने की कीमत बता गई
तुम्हारी एक ग़लती
ग़लती से जीना सिखा गई— % &

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