shaniya singh♥️   (Shaniya_(panchi🕊))
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Joined 2 March 2019


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7 MAY 2022 AT 12:39

इश्क में अश्क जो बहाते हो
आग पानी को तुम मिलाते हो

सारे पकवान फिर लगे फीके
होठ जब होठ से लगाते हो

डर है जब दिल के टूट जाने का...
रेत पर घर ही क्यों बनाते हो।।

इतनी क्या नराजगी है सितारों से....
जो हाथ बस तुम चांद से मिलाते हो।।

एक काटे से फूल ने बोला....
शुक्रिया तुम मुझे बचाते हो।।

तैरने का हुनर नही फिर भी....
गहरे पानी में क्यों नहाते हो।।

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23 FEB 2022 AT 8:10

कैसे आसमा ये,जमी खोता है
कैसे सागर अपनी नमी खोता है...
तुम्हारे ना होने पर मैने जाना , कैसे
सब कुछ होकर भी कुछ नहीं होता है....🍂🥀

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23 FEB 2022 AT 8:05

तुझे पाने की हसरत बिछाऊ
तुझे खोने का डर ओढ़ लू मैं।

तू तन्हा दिखे तो तुझे संभालू मैं
तू मिल जाय तो तुझे छोर दू मैं।

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22 FEB 2022 AT 21:14

उदास शामें , उदास दिन , उदास राते...
कितना कुछ लेता है जन्म
.
.
.
.
महज एक मन के मर जाने पर

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22 FEB 2022 AT 21:09

अब हर खुशी से खौफ आता है, मुझको
मैं वो शख्स थी,जो बात बेबात हस्ती थी...

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22 FEB 2022 AT 21:05

हैरत में हूं,
ये उल्टा हिसाब देखकर
जिंदगी से ज्यादा हम
हादसे जी रहे है....

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8 JAN 2022 AT 13:08

मिलो तो इस तरह जैसे
पगडंडियां मिल जाया करती है
भटकी हुई विरान सड़को से

बिछड़ो तो इस तरह जैसे
नदिया खो देती है खुद को
समाकर एक अंजान समंदर में

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19 DEC 2021 AT 18:16

इन नाहक अधूरे रिश्तों को,
अब क्या नाम दूं?
उमापति थोड़ी हूं कि,
खुश हो जाऊं!
कालकुट वाली बातें,
सूल वाली सोच।
कुटिल वित्त नशा परिपूर्ण,
तथा कटुम्ब कल्याण
औषधि विद्वेषपूर्ण।।

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15 DEC 2021 AT 15:04

आइने से पूछना कभी!
क्या खुद को कभी देखा है ?
दुनिया के हर नकाब में लिखी,
एक यही तो श्वेत रेखा है।
खुद को बेहतर पाना हो ,
तो इसके सामने आ जाना ।
यही तुम्हारा आज है ,
और यही तुम्हारा नजराना।

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10 OCT 2021 AT 8:10

एक बार फिर मेरे पास आकर
गले से लगा लो मुझे ...

उलझे रिश्तो में फस गई है जिंदगी
फिर से जीना सिखा दो ना मुझे ...

जिम्मेदारी और फर्ज का बोझ भारी है
फिर वह पहले सी हिम्मत दिला दो ना मुझे....

जरूरतें हसरते सब आपने पूरी की है मेरी
बस थोड़ा सुकून अब दिला दो ना मुझे ....

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