shandilya चंचल   (चंचल✍️✍️)
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मेरे शब्द मेरी आत्मा❤✍
Joined 19 April 2020


मेरे शब्द मेरी आत्मा❤✍
Joined 19 April 2020
3 MAR AT 21:45

मुझे मेरे नाम से न आंकिए
जितनी चंचल उससे भी अधिक
शिथिल हूँ मैं...

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3 MAR AT 21:41

मुझे वहाँ से सुनिए
जहाँ से मैं ख़ामोश हूँ
ये हँसना हँसाना तो
हुनर हैं मेरा....
मुझे वहाँ से पढ़िेए
जहाँ से मैं गंभीर हूँ
ये चंचलता तो प्रारब्ध हैं मेरा...

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3 MAR AT 21:36

लिखी गई होगी
शायद मेरी कहानी
उसी स्याही से
जिसकी तक़दीर में
ख़त्म हो जाना लिखा था...

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3 MAR AT 13:37

आसान नहीं
अक्स़र ख़ुद को
ही हराना पड़ता हैं
अपने ही सामर्थ्य पर
प्रश्न उठाना पड़ता है
दूसरों से तो युद्ध आसान हैं
यहाँ हर क्षण द्वंद खुद से लड़
ख़ुद को ही जिताना पड़ता हैं...

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3 MAR AT 12:34

आसान नही होता
मन को समझा
कठिन को सरल बनाना
स्वयं के बंधनों में बँधे
स्वतंत्र विचारों को रचना
न होता आसान स्वयं की
रची हुई सीमा से
निकल स्वच्छंद विचरना...
आसान नहीं होता
स्वयं को स्वयं से बचाना...

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21 FEB AT 16:52

मेरा जवाब सुनोगे क्या
या कहोगे वही जो चाहते हो
पूछकर हाल फिर
खो जाओगे अपनी धुन में
बातें मेरी समझोगे क्या
या नासमझ बन चले जाओगे
एक पल इंतज़ार करोगे क्या
या चले जाओगे बिन कुछ कहे
थोड़ा सब्र करोगे क्या
या फिर वक्त बन बीत जाओगे...


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20 FEB AT 20:32

सखी अपने मन को
बचा कर रखना
इस झंझावात से
लोगों की अनचाही बात से
तुम रखना स्वयं के
पुष्प से हृदय पर दृष्टि
रखना उसे बचा
इस जगत के आघात से
पथ में पड़े कंटकों के
मार्ग रोधी अप्रिय कष्टों से
हें सखी तुम करना
स्वयं पर दया
और बचा कर रखना अपने मन को

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19 FEB AT 22:52

मेरा मुझसे ये प्रश्न रहा है
कि तुम हार गई तो क्या
स्वयं से दृष्टि मिला सकोगी
फिर हर बार मन से यही उत्तर आया
कि क्या हो गया जो तुम हारी
तुम रण में डटी रही योद्धा की भाँति
तो क्या हुआ आज न मिला यश
पत्थर को भी रत्न बनते समय लगता हैं
तुम तुम्हारी दृष्टि में सही हो
और बस यही पर्याप्त हैं...

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19 FEB AT 22:44

दूरी का अहसास तब हुआ
जो कभी सामना थे आज तस्वीर बन बैठे है..

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19 FEB AT 22:41

तस्वीरें बताती है अब हाल जिनका
कभी वो हकीकत हुआ करते थे
कि जानना हो हाल उनका
अब तस्वीरें देख समझ जाया करते है
कि दूर है बहुत वो हमसे

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