शिकवे इतने हैं की किताब लिख दूँ ,
सब्र इस क़दर है की एक लफ्ज़ भी ना कहूँ ।-
Shanaaz
(Shãnããz)
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Kiun banu main kisi aur ki tarah, zamane me jab koi mujhsa nhi... 😊
Joined 27 June 2021
11 JAN 2024 AT 22:00
16 JUL 2023 AT 21:32
नादानियाँ दिखती हैं सबको मुझमें,
मैं समझदार भी हुँ कभी सुनो तो मुझे...
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28 MAY 2023 AT 1:43
कभी बच्चों सी झलकती है
नादानियाँ मुझमें,
कभी मैं इतना संभली हुँ के
उम्र भी काँप जाए...-
20 MAY 2023 AT 23:31
कुछ लोग जिधर की हवा है उधर चल पड़ते हैं,
हांलांकि ये काम कचरे का होता है...🙂-
9 DEC 2022 AT 19:01
Yahan hrr kisi ki do kahani hai,
Ek jo wo sabko suna rha hai,
Aur ek jo wo khud se bhi chhupa rha hai...-