दुनिया में होते है एक जैसी शक्ल के सात लोग अगर!
तुम्हारी शक्ल के छह और पे भी लानत हो!!
|अज्ञात-
कोई साथी कोई हमदम नही है!!
जब उस लड़की से मुलाकातें उरूज़ पर थी,
तब अज़ान भी सुनायी न दी!
अब जब उस कमबख्त से बिछड़े हैं,
तो तहज्जुद भी अदा करते हैं !!
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मैं इस तथ्य पर विश्वास नहीं करता
कि,
“जाते हुए उसने मुड़कर नहीं देखा,
इसका मतलब उसे प्यार नहीं।”
हो सकता है...
“वो जाते हुए रो रहा हो
और अपने आँसू छुपा रहा हो।”
|अज्ञात-
नोचता रहता है वो शख्स
उसे उसकी इज़ाज़त के बिना!!
सब खामोश हैं
क्योंकि रिश्ता 7 फेरों या निकाह का है!!-
यहाँ राख भी रख दो तो पारस बन जाता हैं
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ऐसे ही नहीं कोई शहर बनारस बन जाता हैं!!
|Unknown-
कभी कभी याद आती है,
“कुछ धुंध हुए ख्यालों की
कोहरे से बिखरे ख़्वाबों की
सर्द हुए वादों की
बीते मौसम के हिसाबों की”-
सर्द मौसम में दरगाह के बाहर
ठिठुरते हुए जिस्मों के लिए, चादरें क्यों ना मजारों से उठा ली जाए।-
I stand with TRUTH
I stand with HONESTY
I stand with INTEGRITY
I stand with HARMONY
I stand with PEACE
I stand with NONVIOLENCE
I stand with INCLUSIVENESS
I stand with PLURALISM
I stand with DEMOCRACY
I stand with SECULARISM
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