याद है उस रात मुझे वो तुम्हारा आखिरी कॉल
वो तुम्हारी कोशिश जिसमे तुम्हे सिर्फ मेरी चाहत थी
वो बार-बार तुम्हारा माफ़ी माँगना और रोना
वो तुम्हारी कोशिश जिसमे तुम्हे सिर्फ मेरी चाहत थी।
काश उस दिन सामने आ जाते
मेरे मना करने पर फिर से मनाते
काश उस दिन तुम मुझे गले लगा लेते
वो पैगाम की जगह तुम खुद आ जाते।
कोसती हूँ अपनी नादानी को मैं
तुम्हारे लाख बोलने पर नहीं रुकी मैं
ग्लास टूटने पर जुटता नहीं दरार पड़ता है
बस ऐसा कुछ कुछ बोल गई मैं।
सब ने मिल-जुल कर समझाया
सिर्फ तुमने नहीं तुम्हारे दोस्तो ने भी मनाया
मेरी नादानी आज मुझे खलती है
कि मैंने तुम्हें नहीं तुम्हारी यादों को सँजोया- Shampa"Jyoti"
14 DEC 2020 AT 16:57