तुमने मुझे कुछ इस कदर नज़रो से छुआ
कि मैं सब कुछ भूला बैठी हूँ
आ देख मेरे मन की हालत
मैं खुद को खुद से मिला बैठी हूँ।।
वो रात तले एक दिए कि तरह तुम जगमगाते हो
मुझसे मिलते नहीं लेकिन मेरे बारे सबको बताते हो
कंही कोई और न चुरा ले मुझे तुमसे इसलिए सबसे ऐंठी हूँ
आ देख मेरे मन की हालत
मैं खुद को खुद से मिला बैठी हूँ।।
अचानक दीदार हो जाये रास्ते में तुम्हारा तो मन व्याकुल हो उठता है
तुमसे मिलने का नहीं बिछड़ने का दर्द सताने लगता है
तुम मेरे हो और सिर्फ मेरे ही रहना
ये हर बार की तरह फिर तुमसे कहती हूँ
आ देख मेरे मन की हालत
मैं खुद को खुद से मिला बैठी हूँ।।
अरे घबराओ नहीं तुम पर मेरा कोई दबाव नहीं
तुम्हें बाँधकर रखने का मेरा स्वभाव नहीं
तुम्हारे कहने पर मैं तुमसे हँस कर बिछड़ना चाहती हूँ
पर आकर देखना मेरे मन की हालत
मैं खुद से खुद को भुला बैठी हूँ।।
मैं खुद से खुद को भुला बैठी हूँ।।- Shampa"Jyoti"
30 APR 2020 AT 9:30