13 APR 2020 AT 10:55

ऐ खुदा! तेरी बनाई इस दुनिया में
हम ही क्यों परेशान रहते है
बंद होते है शहर और गाँव वाले
हम ही क्यों भूखे मरते है?

न जाने कितने दिनों की प्यास है मन में
अब मैल भी जम रही है कपड़े और तन में
आँखों की नींद और पेट की भूख लिए
हम ही क्यों भटक रहे है इस जीवन में?

चलते-चलते थक गए है आज हम
क्यों दिया है हमे ही सारा गम
हमे भी चाह है महलों की, खुशियों की
पर तूने तो झोपड़ी का सहारा भी न दिया
तो फिर ज़माने में सर झुकाये क्यों चल रहे है हम?

- Shampa"Jyoti"