Shambhu Shekhawat   (Shambhu shekhawat)
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Joined 4 June 2019


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19 MAR 2023 AT 23:08

मेरे जाने के बाद...
कभी वक़्त मिले जो तुम्हें, मेरी किताबें संभालना,
तुम्हें मिलेंगे कुछ गुलाब के पत्ते,
जिन्हें सजाया था मैंने अपने उन शब्दों के साथ, जिनमें तेरा ज़िक्र आया करता था,
महक रहे मेरे शब्दों में तेरे नाम की, इसलिये मैं उनको सजाया करता था,
एक ओर मिलेंगे तुम्हें, कुछ कड़कते पन्ने,
जो भीग गए थे मेरी आँखों से निकले पानी से,
जब लिखा था मैने कि मुश्किल है मेरा, तुम्हारा हो जाना,
कभी वक़्त मिले, तो रख लेना उस किताब को अपने सिरहाने से,
मुझे महसूस होगा कि मैं हूँ तेरे पास किसी तो बहाने से....

मेरे जाने के बाद....


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19 MAR 2023 AT 22:54

लिखकर मिटाई है मैंने अपनी इबारतें कई,
मैं खुद अपने लफ़्ज़ों का कातिल रहा हूँ...

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7 MAY 2022 AT 9:52

लोग समझ रहे है, न जाने क्या क्या मुझे...
एक मैं हूँ, जो खुद को ही नहीं समझ पाया आज तक

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6 MAY 2022 AT 19:02

फिर भी तुमसे प्यार हुआ जाता है...

तेरी यादें लिखता हूँ, फिर मिटा देता हूँ,
इसी में पूरा दिन बेकार हुआ जाता है।

लम्हे तेरे साथ गुज़ारे, बड़े हसीन थे,
दिल याद करके बेजार हुआ जाता है।

साफ लफ़्ज़ों में कहा तुमने, हम एक न हो पाएंगे,
फिर भी तुमसे ही प्यार हुआ जाता है।

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6 MAY 2022 AT 18:54

मुड़कर देखूं तो कई ख्वाब, कई अरमान नज़र आते है,

एक समंदर था मुझमें भी, जो सीने में ही सूख गया

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27 MAR 2022 AT 15:48

वो हर बात को कहती थी बड़ा घुमाकर-फिराकर,
उसकी दिल की जबान को मुझे सुनना नहीं आया,
बटोर न पाया मैं एक भी फूल, उसके गुलशन का,
सब सामने था, मगर मुझे चुनना नहीं आया

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18 JAN 2022 AT 20:33

सूर्य से परे हो तुम,
किस बात से डरे हो तुम,
गूंजा दो शंखनाद से ब्रह्मांड को,
क्यों दबे हो, क्यों मरे हो तुम..?

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16 JAN 2022 AT 10:13

एक उम्र थी गुस्ताखियों की, वो अदब और लिहाज़ में गुज़ार दी...
अब संजीदा होने की उम्र है, तो शरारतें करने का जुनून चढ़ा है...💐

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7 JAN 2022 AT 23:19

जख्म को अल्फ़ाज़ देता हूँ, तो तकलीफ नहीं होती जनाब...
टीस तो तब उठती है, जब लोग वाह-वाह करते हैं।

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2 JAN 2022 AT 22:11

1.
इस पार है हौसले, साथ मे मुश्किलें हज़ार,
ज़िंदगी का दरिया है, मंजिल मिलेगी उस पार,

2.
टूटी है कश्तियां कई, तूफानों ने दम निकाल रखा है,
इस पर भी मुस्कुरा रहा हूँ, मैंने अपने आप को संभाल रखा है।

3.
उलझा हुआ हूँ ज़िंदगी में, कुछ राहत मिले, तो बात करूँ,
मैं खुद मुश्किल में हूँ, तुझसे किस तरह मुलाकात करूँ?

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