ऐ - वक्त
गलत तो नहीं थे हम,
बस साबित नहीं कर पाए...-
जब तक हम किसी के हमदर्द नही बनते
तब तक हम दर्द से ओर दर्द हमसे जुदा नही होता
ऐ - वक्त
बहुत कम होते जा रहे है ऐसे भी लोग
जो बताना चाहते हो मन की कोई भी बात-
ए - वक्त
अपने गुज़रे वक्त से नफरत है मुझे
अपनी बेकार की ख्वाहिशों पर शर्मिंदा हूं मै-
ऐ - वक्त
राज कैसे पहुंच गये ग़ैरो तक...
मशवरे तो हमने अपनो से किए थे...!!!-
ऐ - वक्त
जो दूर रहकर भी महसूस होते हैं
असल में साथ तो वही रहते हैं.....-
किसी से
रोना आए तो बात करनी चाहिए
में बात करता हूं तो रोना आता है ।।-
ऐ - वक्त
शिकवे इतने है की किताब लिख दूं..!
सब्र इस कदर है की एक लफ्ज़ भी ना कहूं ...!!-