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Thanks for ur love...-
वो ताबीर भी है
और दरकार भी
बारिश की तरह
मेरा पहला प्यार भी
उम्मीद भी मेरी
और खुल्द का उजाला भी
गम के वक़्त में मेरी मधुशाला भी ....-
बस थम जाए ये पल और हांथो में हाथ हो
ये दिन यही यही रुक जाए बस आँखों में बात हो-
जो बिना जिक्र के ख्वाब में आये वो ख़यालात हो तुम
बिन पढ़े भी याद आये ,मेरी खुली किताब हो तुम
करवटों में हैं यादें जिसकी -वो एहसास हो तुम
जो पानी से भी ना बुझ ना पाये
ऐसी अधूरी प्यास हो तुम....
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अच्छा किया की तुमने उसे फिर वापस नही बुलाया
चलो,किसी से तो इश्क़ है उसे जिसे उसने अपना बनाया...
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When someone ask to my friend
What are u doing in weekend
My Friend---
जब भी हटाती है जुल्फों को कानो के पीछे बवाल कर जाती है
झुमकों से ही ना जाने कितने दिलों पे सवाल कर जाती है
उसके कानों की बाली रातोँ की नीदें हराम कर जाती है
कमबख्त ,,खुदा जाने क्या बला है
एक झुमके से कितने शहर का क़त्ल सरेआम कर जाती है ....-
यह ख़त है उनके नाम जिनका दिल कभी हमारा था --
गुजरती थी रात उनकी
गुजरती थी रात उनकी पर उन रातों पर पहरा हमारा था
वो जो हमारी बचकानियों पे भी कभी गौर फ़रमाया करते थे
जनाब ,
अब तो वो मुद्दों वाली बातोँ पे भी गौर नही करते
वो जो अकसर हमारी हुस्न की तारीफ़ किया करते थे
अब तो अगर सामने हो हम तो नजरें फेर लिया करते है
मुझे आज भी वो अल्फ़ाज़ याद है हमारी पहली मोह्हबत के
भले आज वो हमे भूल गए इसमें हमारा क्या कसूर?
वो जो डरते थे कभी हमको खोने से
आज खोये है हम कहीं और उन्हें भनक तक नही है
ये खता है हमारी की हम इबादत करने लगे
खुदा तो मन्दिर और मस्जिदों में थे ये हम भूल जाया करते थे
वो जो मेरी गुस्ताखियाँ पल भर में भूल जाया करते थे
ना जाने क्यों वो वर्षों पुरानी गलतियों को भी बार बार दोहराता है
वह जो हमारी गलतियों का बोझ भी अपने सर ले लिया करते थे
अब ,अब अपनी भी गलतियां हम पर थोप दिया करते हैं
वो जो अक्सर कहते थे तुम्हे कभी छोर कर नही जाएंगे
अब छोटी- छोटी गुश्ताखियों पे भी मुँह फेर जाया करते हैं....
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