Shalu Tiwari   (✓)
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Psychic/Ambivert/Charismatic/Catalyst/capricious..!!
Joined 10 January 2021


Psychic/Ambivert/Charismatic/Catalyst/capricious..!!
Joined 10 January 2021
16 APR AT 20:35

किस जरूरत को दबाऊं
किस जरूरत को पूरा करूं
अपनी तनख्वाह कई बार गिनी है मैने!

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15 APR AT 22:39

एक सोच अकल से फिसल गई,
मुझे याद थी कि बदल गई,
मेरी सोच थी कि वो ख्वाब था,
मेरी जिंदगी का हिसाब था।

मेरी जुस्तजू से बरअक्स थी,
मेरी मुश्किलों का अक्स थी,
मुझे याद हो तो वो सोच थी,
जो ना याद हो तो गुमान था!

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5 APR AT 5:08

कैसे जाना है कहां जाना है क्यों जाना है
मैं चलती जा रही हूं मुझे पता कुछ भी नही
मैं अब किसी भी तरह समझौता नहीं कर सकती
या तो सब कुछ ही मुझे चाहिए या कुछ भी नही!

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25 MAR AT 23:58

एक ऐसी नज़्म कहूं
जो लफ्ज़ कहूं वो हो जाए!
मैं गुम लिखूं
मैं इस जहां से
हमेशा के लिए रिहा हो जाऊं!

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25 MAR AT 12:38

जो मेरी बराबरी से नहीं डरा
मेरी बराबरी के लिए भी लड़ा
जो खुलकर मुस्कुराया भी
में चिल्लाई अगर तो चिल्लाया भी
मैं रोई तो रोया भी
मेरे कंधे में सिर रखकर सोया भी
जो मेरे पंख देख घबराया नही
मैं उड़ी अकेले तो डगमगाया नही
मैं फिसली जब तो मुझे उठाया भी
आंखों को मेरी सहलाया भी
जिसने कभी रोटी पकाई भी
मैं थककर सो गई तो जगाकर अपने हाथो से खिलाई भी
जिसने बेवजह खुद को मुझसे ऊपर जाना नहीं
वो, वो नही जिसने मुझे पहचाना नहीं!

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17 MAR AT 23:27

तुम्हारी शर्तों पर ही अगर करना हो तुम्हें कुबूल
तो जाओ जहां जाना हो,
ये सहूलियत तो मुझे सारा जहां देता है!

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10 MAR AT 19:12

चांदनिया तो बरसे
फिर क्यों मेरे
हाथ अंधेरे लगते!

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8 MAR AT 22:33

शिव जी के बारे में पढ़ते हुए मैने पाया की वो अपने गले में एक सौ आठ सिरों की माला पहनते थे, और उसमे सारे सिर माता पार्वती के एक सौ आठ जन्मों के थे अर्थात जब पार्वती नही थी तब भी वो उनके पास थी!
जहां आजकल लड़के लड़कियां जब तक छह लोगो के साथ प्रेम में पड़कर सातवे व्यक्ति के साथ सात फेरे नही ले लेते तब तक उन्हें प्रेम का वास्तविक मतलब समझ नही आता ! वहीं दूसरी ओर अपने ही ईश्वर द्वारा प्रेम के प्रति ऐसा समर्पण, इंतजार, सुकून देखकर हृदय भाव विभोर हो जाता है वास्तविकता में प्रेम पर बस एक व्यक्ति का ही जन्मों जन्मों तक अधिकार होता है!

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8 MAR AT 22:18

वह स्त्री है कुछ भी कर सकती है!
यह वाक्य हास्य नही, प्रेरणा प्रधान होना चाहिए!

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29 FEB AT 1:25

मुसाहिबों से कहो आज एक काम करे,
जो जाम तल्ख-ए-तरी है आज मेरे नाम करे

आधी जिंदगी कभी रोते कभी सिसकते कटी
जो बची है उसे क्यों न वक्फ-ए-जाम करे

हमारा किस्सा-ए-गम एक अजीब किस्सा है
कहां से बात छेड़े कहां तमाम करें,

हैं छूटे दौर-ए-हरम तो यही रवा है अब
पकड़ के हाथ में तस्बीह राम राम करें

वो लोग जिनसे मिरी रोज-ओ-शब की निस्बत थी
मिरा नही तो मिरे फन का एहतिराम करें

तिरे "बशर" से जो भी बन पड़ा वो कर गुजरी
चलो अब उसके जनाजे का एह-तिमाम करें!

(मुसाहिब -दोस्त)/( तल्ख ए तरी- कड़वा)/( वक्फ ए जाम - विशेष )/( दौर ए हरम- मंदिर )/( रवा- कानूनी )/(तस्बीह - बार बार याद करना )/( निसबत - संबंध)/( एहतिराम - सम्मान)/( बशर - मानवता)
(एह तिमाम-बंदोबश्त )

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