"Adhuri mohabbat"
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इंजतार हैं मुझे तेरे उस पल का जब तू मेरे करीब आये
वक़्त हो या ना हो दूर कहीं भी ना जाय...-
अच्छे हम नहीं या मेरी आदत...
फुर्सत में जब होना तो ... मेरे रूबरू जरूर होना-
काश कोई पास आकर कहे कि मुझसे लड़ भी लिया करो....
तुम खमोश अच्छी नहीं लगती-
तू भी एक वक्त बनकर रह गया
अपने से कहीं दूर मुझे कर गया
क्या खामियां थी मुझमें,
जो तुमने मुझे तन्हा छोड़ गया!!
तेरी रूह तेरा वजूद, तुझसे सवाल नहीं करता
तेरा लफ्ज़ तुझसे आह नहीं भरता
लोगों को क्यों देता है दर्द इतना
क्या तेरे दिल में चोट नहीं लगता!!
लोगों के दिल से ना खेल इतना,
कि आशिक़ी ही खत्म हो जाएं
चोट इतनी गहरी लगती है कि जख्म नासूर बन जाएं
कभी तू भी तड़पेगा वफ़ा-के-इश्क़ के लिए
क्या खबर तुझे चाहने वाले, किस राह पर तुम्हे छोड़ जाएं!!-
दिल में एक ख़्याल आया है
कि दोस्तों पर मुकदमा कर दे...
रोज़ तो ना सही लेकिन
तारीखों पर मिलना तो होगा-
ये मोहब्बत वोहब्बत मेरे बस की बात नहीं💛💛
यहां लोग दिलों से खेल जाते हैं...💛💛-
जिंदगी गुज़र होगी
जिंदगी बसर होगी
न जाने जिंदगी में
क्या-क्या अब असर होगी-