यूं ज़ाया ना कीजिए वक्त बेफिजूल की बातों में
अगर इश्क है तो कुबूल कीजिए देख के हमारी आखों में।-
यूं ही नहीं खालीपन मेरे अंदर समाया है
उसके एहसासों को मैंने दिल में दफनाया है
मुझसे अब बयां भी नही होते दर्द मेरे
शायद शिद्दत से इश्क करने की सजा जो पाया है।
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मुझे मेरे हाल पे छोड़ो , ना मशवरा ना कोई सलाह दो
इश्क-ए-मरीज़ हूं मैं ,मुझसे बस मेहबूब की बात करो।-
तुम रहो , मैं रहूं और हमारे इश्क में कोई शर्त ना रहे
दो जिस्म एक जान बने फिर हम में कोई फ़र्क ना रहे।-
आज फिर गम भुलाने को जी नही कर रहा
आज फिर तुम्हारी याद में जलने को दिल कर रहा
कब तलक हम अपने अश्क ज़माने से छुपाते रहे
आज फिर तुम्हारा नाम सरेआम करने को दिल कर रहा।-
मुझे एहसास है की इश्क मेरी आखिरी मंजिल नही
पर फिर भी मैं उन्हीं रास्तों पर चलना चाहती हू।
मैं जानती हूं, तुम्हारी महफ़िल में मेरी कोई जगह नही
पर फिर भी तुम्हारे काफ़िले का हिस्सा बनना चाहती हूं।
तुम बेवफ़ा हो, इस बात का मुझे कभी मलाल नहीं
पर फिर भी मैं तुमसे बेइंतहा इश्क करना चाहती हूं।
तुम्हें डर है, इश्क में खुद की बदनामी का पर मुझे नही
मैं आसमां पे लिख दूं नाम तुम्हारा ऐसा इश्क करना चाहती हूं।
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इज़हार- ए- इश्क करू या उसकी खैरियत पूछ लूं
ए खुदा तू ही बता कैसे उससे दिल का हाल पूछ लूं।-
शिकवा क्या और कैसे शिकायत करे तुमसे
तुमपे मेरा कोई हक नही फिर कैसे मोहब्बत करे तुमसे।-
ज़रा ज़रा सी उसमे मैं , मुझमें वो बेशुमार है
कैसे कहूं उससे की, मुझे उससे कितना प्यार है।-