तुम काशी का किनारा , मैं गंगा सी निर्मल धारा
मेरे मन को हर बार भाए वो बनारस का सवेरा।
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हम अपनी मोहब्बत का नया इतिहास लिखेंगे।
मेरी लिखी सारी कविताएं बेकार साबित हुई
वो हर किसी के गजलों को लाजवाब कहने लगा
उसके बारे में जो भी लिखा खामियां निकाल गया
मेरे अलावा वो हर किसी को शाबाश कहने लगा।-
इश्क है खूबसूरत सजा कभी तो ये गुनाह कर लिया करो
नाम नही ले सकते हो,अपनी प्रेमिका ही कह के बुला लिया करो।-
इश्क में नाकाम आशिक ही शायर बन जाते
लोग उन्हें शराबी कहते पर उनकी आखों में नहीं देख पाते
कोई पूछे उनसे महबूब की एक दीदार को वो कितना तरसते
ना जाने क्यू लोग उन्हें बेवजह ही फ़कीर कहते।
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शाख से टूटे हुए तिनके है , तुम्हारा आशियां ही तलाश करेंगे
हम तुम्हारे चाहने वाले है , तुम्हारे सिवा और किसको चाहेंगे।-
मुझे मेरा होने दो या फिर अपना ही बना लो
कोई एक रास्ता चुनो या फिर मुझे जीने दो।-
यूं ज़ाया ना कीजिए वक्त बेफिजूल की बातों में
अगर इश्क है तो कुबूल कीजिए देख के हमारी आखों में।-
यूं ही नहीं खालीपन मेरे अंदर समाया है
उसके एहसासों को मैंने दिल में दफनाया है
मुझसे अब बयां भी नही होते दर्द मेरे
शायद शिद्दत से इश्क करने की सजा जो पाया है।
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मुझे मेरे हाल पे छोड़ो , ना मशवरा ना कोई सलाह दो
इश्क-ए-मरीज़ हूं मैं ,मुझसे बस मेहबूब की बात करो।-