अंधेरे ने कर दिया अकेला
मन के अंदर कोई जा बैठा
चुपचाप रहा नहीं कुछ बोला
डर हावी हो गया अमंगल
भ्रम से भी भयभीत भयंकर
निराशा पर आशंका भारी
खौफ हमारे अंदर था
ना बाहर कोई मंजर था
आहट का शोर भी गूंजा था
एक परछाई दूर से नजर आई थी
पता नहीं क्या उसकी सच्चाई थी
लगता है ये किसी के तन्हाई की गहराई थी-
वो भाई होता है
जो परवाह करने की अपनी आदत नहीं बदलता
वो भाई ही होता है
जो सुनसान और अंधेरे रास्तों में हमें मुड़ने भी नहीं देता
वो अपना भाई ही होता है
जो हमारा मजाक बेशक उड़ाते है
पर बाहर रोने की वजह नहीं बनते है
वो सबका भाई ही होता है
जो खुद को रोक नहीं पाता
जब हमें ये दुनिया बुरी नजरों से देखती है
वो एक भाई ही होता है
जो हमारी हर बुराई और अच्छाई को
हमसे ज्यादा अच्छे से समझता है
वो सिर्फ भाई ही होता है
जो खुद से भी पहले
हमारी सुरक्षा के बारे में सोचता है
वह एक भाई ही सोचता है
हमारी खुशियां किस में है-
पता नहीं यह उसकी अच्छाई है या बुराई
उसने किसी की बुराई पर भी अच्छाई लिखी है
पता नहीं वह सच्चा है या झूठा
वह सच बता कर झूठ बोल देता है
पता नहीं दुनिया वाले अच्छे होते या बुरे
हमारी कमियों पर हंसते है और काबिलियत से जलते है
पता नहीं वह कमजोर है या ताकतवर
जिसने जख्म ताजा करके वार किया है
पता नहीं वह अपना है या पराया
जो हमारी गलती पर हमें माफी नहीं हमसे रिश्ता ही तोड़ लेता है
पता नहीं वह घर है या एक मकान
जहां हर वक्त तन्हाई का शोर गूंजता है
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मांगने पर देने वाला दानी नहीं
झुकने वाला अहंकारी नहीं
क्रोध में चिल्लाने वाला ज्ञानी नहीं
परिश्रम करने वाला आलसी नहीं
सब समझने वाला अज्ञानी नहीं
अपमान करने वाला संस्कारी नहीं
सेवा करने वाला स्वार्थी नहीं
छीन कर लेने वाला शक्तिशाली नहीं
भविष्य की बात करने वाला अंतर्यामी नहीं
गलती मानने वाला अपराधी नहीं
बिना मेहनत के मिलने वाली कमाई नहीं
जो अपनों का साथ छोड़ दे वो अच्छाई नहीं
दूसरो की मदद करना बुराई नहीं
जो बदल जाए वो सच्चाई नहीं
जीवन बचाने वाला कसाई नहीं
जो अपना कहें सबको वो पराई नहीं
आबाद करने वाली लड़ाई नहीं
जो अंधकार में भी साथ चले वो परछाई नहीं
जान लेने वाली दवाई नहीं
जो नाप सके वो गहराई नहीं-
बालक के मुंह से निकला पहला शब्द वही है
मां माता अम्मी मम्मी आई अम्मा मदर
इन शब्दों का अर्थ वही है
सारे जीवन का आधार वही है
सृष्टि का संचार वही है
मेरा जीवन संसार वही है
ईश्वर का स्वरूप वही है
सबसे ज्यादा अनमोल वही है
सबसे मजबूत डोर वही है
मां तेरा अविष्कार हूं मैं
तुझसे पहले न थी कोई पहचान मेरी
न तुझसे अलग कोई पहचान मेरी
तुझसे ही है पहचान मेरी
मां तेरा ही अंश हूं मैं
मेरी हर आहट तू पहचानती है
मेरी खामोशी भी सुन लेती है
अपनी दुआओं में हमारी खुशियां ही मांगती है
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इंसान जीवन तो बचाता है
पर अपना जन्म नहीं देख पाता
इंसान बोलना तो सीख जाता है
पर क्या बोलना है क्या नहीं जीवन भर नहीं सीख पाता
इंसान चलना तो सीख जाता है
पर समय के साथ नहीं चल पाता
इंसान पढ़ना लिखना तो सीख जाता है
पर हर कोई विद्वान नहीं बन पाता
इंसान भविष्य तो सवार लेता है
पर भूतकाल को नहीं बदल पाता
इंसान जीवन तो जी लेता है
पर अंत को नहीं टाल पाता-
कृष्ण चरित्र है इतना सुंदर
क्या व्याख्यान करूं मैं मूरख
बाल रूप अति मोहक है
श्याम रंग रूप भी अद्भुत है
गले में वैजयंती की माला
मोर मुकुट और पीतांबर सोहे
नंद बाबा और यशोदा मां के लाल कहलाए
बलराम दाऊ संग गाय चराए
गोवर्धन पर्वत उठाया
मटकी फोड़ माखन खा लेते
गोपियों के वस्त्र चुराते नटखट
रास रचा कर मधुर बांसुरी बजा कर
सबके मन को मोह लिया
सबको सच्चे प्रेम का अर्थ बताने
राधा से अलग हो गए कृष्ण
कंस को उसके पापों का दंड दिया
अपने माता-पिता को मुक्त किया
द्वारिका के द्वारकाधीश बने
16100 स्त्रियों को अपनी पत्नी का स्थान दिया
सखी द्रौपदी की लाज बचाई
शस्त्र त्याग कर बन गए सारथी
भटके अर्जुन को गीता का सार समझाया
जीवन मृत्यु का मर्म बताया
हर बंधन से मुक्त कराया
अश्वत्थामा को श्राप दिया
परीक्षित को नया जीवन मिला
माता गांधारी की पीड़ा जानकर
उनके श्राप को आशीर्वाद समझकर स्वीकार किया
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बिना सोचे कुछ मत बोलो
बुरा मान कर तुम मत बैठो
सिर्फ अपने बारे में मत सोचो
कोशिश करने से पहले हार मत मानो
बिना जाने समझे अपनी राय मत बनाओ
अपना कीमती समय बेकार मत गवाओ
अहंकार से घिरा इंसान दूसरों की अच्छाई नहीं देख पाता
मोह में फंसा इंसान अपनी बुराई नहीं देख पाता
लालच करने वाला इंसान सही गलत नहीं देख पाता
गुस्से के कारण इंसान कुछ नहीं सोच पाता
ईर्ष्या की आग में जलता हुआ इंसान ठीक से जी भी नहीं पाता
हर वक्त बुरा सोचने वाला इंसान ठीक से मर भी नहीं पाता
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जीवन को पढ़ना किताब समझकर
कागज पर लिखना कवि बनकर
ज्ञान ले लेना शिष्य बनकर
बांट देना सबको प्रसाद समझकर
समस्याओं से लड़ना सैनिक बनकर
हार स्वीकारना जीत समझकर
कोशिश करना चिकित्सक बनकर
जीवन सबका बचाना फर्ज समझकर
न्याय दिलवाना न्यायधीश बनकर
सजा सुनाना अपराध समझकर
फैसला लेना अधिकार समझकर
नेतृत्व करना राजा बनकर-
आसमान में उड़ना है पंख कोई लगवा दो ना
रात में चमकना है जुगनू कोई बना दो ना
सब कुछ ठीक करना है चमत्कार करना सीखा दो ना
चैन की नींद सोना है लोरी कोई सुना दो ना
सब कुछ समझ जाएंगे प्यार से समझा दो ना
सब दुख भूल जाएंगे एक बार गले लगा लो ना
सब खुश हो जाए जादू ऐसा कर दो ना
सादे पन्नों को ज्ञान के शब्दों से भर दो ना
बिगड़ गई प्रकृति की सुंदरता फिर से उसे सजा दो ना
जो मंजिल तक पहुंचा दे वो रास्ता कोई दिखा दो ना
जो अपने आप से मिलवा दे वो आइना दिखा दो ना
जहां सबको न्याय मिलता है वहां से न्याय दिलवा दो ना
जीवन को समझना है समय और दिलवा दो ना
सीखना है बहुत कुछ उम्र पर पहरा लगवा दो ना
जीवन का हर पल मजा लेना है मौत से पीछा छुड़वा दो ना-