shalini verma  
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Joined 7 July 2020


Joined 7 July 2020
28 MAR AT 22:11

क्यों? महकता है,
मुस्कुराहटों का गम।
ओ री चिड़िया,
ऐसे ही गुनगुना
तू बादलों के संग।
मन उलझा है,
सूखे रंग में।
क्यों हैं? कोरे कागज़ सा,
तेरा तन्हा मन रे।।

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27 MAR AT 11:46

दिल टूटा कभी तो
तकिया भिगोए रोए हैं
मुश्किलों में जब ढूंढा तुम्हें
तन्हां अकेले हम सोए हैं
रिश्तों में आई मायूसी
तो गमों के साय में लिपटे हुए हैं
फूलों के इस बसंत में
फिर पतझड़ से हुए हैं।।


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5 FEB AT 1:42

एक धोखा था इन आंखों में
जो अब ओझल हो गया
रिश्ता था जो ताउम्र साथ रहने का
कुछ स्याही की बूंदों में ही सिमट गया
नहीं गुजरी थी तो वो बस यादें ही थीं
देखो दिल की कश्ती से आज वो भी उतर गईं।।

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15 SEP 2023 AT 18:54

'दुख' कुछ ही क्षण क्यों नहीं रह जाता
और 'सुख' जीवन भर के लिए ।।

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7 APR 2023 AT 0:40

रिश्ते अकेले हो जाते हैं,
पर जिंदगी बेहिसाब चलती रहती है।।

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2 DEC 2022 AT 0:50

इस दिसंबर साथ हैं हम,
शायद फिर बिछड़ने के लिए।।

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22 NOV 2022 AT 1:40

दर बदर भटकते हैं
क्या रिश्ते फिर सुलझते हैं?

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29 SEP 2022 AT 19:17

मुझे रिश्ते नहीं मिले
लेकिन सुनो
उन रिश्तों में कभी तुम नही मिले।।

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5 SEP 2022 AT 13:13

पानी के बुलबुले को
बनाता सौराष्ट्र के लिए महान
करता गुजरता और अंधेरों से निकल
ठहरे दरिया में तू न ठहर
मुश्किलें हों तो डगर कठिन न समझ
आगे बढ़ बस तू आगे बढ़..

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4 SEP 2022 AT 2:04

रिश्ते जिंदगी में बहुत से उतार चढ़ाव ले कर आते हैं
और फिर एक दिन जिंदगी ही बदल कर चले जाते हैं।।

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