किसी की किसी से मिलने की ख्वाइश पूरी होती है,
तो कोई खुद से ही बिछड़ जाता है।।-
कितनी बेरंग सी है ज़िंदगी
न चाहत है किसी के आने की
न बेशुमारी है किसी को पाने की।।
-
मोहब्बतें अक्सर अधूरी रह जाती है
शायद फिर किसी कहानी का नया किरदार निभाने के लिए।।-
जो थके न थे कदम कभी
वो अपनों के बंधनों से पार गए
हुई मुक्त जब उलझी हुई जिंदगियां
देखो ना अब तन्हा सफर में
हम अकेले ही हार गए।।
-
दर्द फीके हो जाते हैं
जब जख्म कुरेदे जाते हैं
मरहम लगाने की सजा में,
तड़पती हैं सजाएं भी
हमउम्र से जुदा होकर रोती हैं
और एक उम्र गुजरती है तन्हाई में।।
-
क्यों? महकता है,
मुस्कुराहटों का गम।
ओ री चिड़िया,
ऐसे ही गुनगुना
तू बादलों के संग।
मन उलझा है,
सूखे रंग में।
क्यों हैं? कोरे कागज़ सा,
तेरा तन्हा मन रे।।-
दिल टूटा कभी तो
तकिया भिगोए रोए हैं
मुश्किलों में जब ढूंढा तुम्हें
तन्हां अकेले हम सोए हैं
रिश्तों में आई मायूसी
तो गमों के साय में लिपटे हुए हैं
फूलों के इस बसंत में
फिर पतझड़ से हुए हैं।।
-
एक धोखा था इन आंखों में
जो अब ओझल हो गया
रिश्ता था जो ताउम्र साथ रहने का
कुछ स्याही की बूंदों में ही सिमट गया
नहीं गुजरी थी तो वो बस यादें ही थीं
देखो दिल की कश्ती से आज वो भी उतर गईं।।-