कैसी हालत से गुज़र रही हैं ज़िन्दगी
ये तुझे बताने कौन आएगा?
मैं अपनी आंखों में आसूं लिए बैठी रही तमाम रात
इसी उम्मीद में की तेरा फोन आएगा।
ये अदालत तेरी है और सारी दलीले तेरी है
तू अगर चाहें तो अपने वादे से मुकर सकता है
ये बात तू जानता है, मैं फिर भी बता रही हूं
की तेरे एक मेसेज से मेरा दिन अच्छा गुज़र सकता है।
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