जिन्हें बेचैन कर देती थी कभी,बेचैनियां मेरी।
आज वही सुकून से है, मुझे बेचैन देखकर-
हमने जो भी चाहा उसको पाया नहीं
किसी को कभी, आजमाया नहीं
हमको खोने का डर हो किसी को कभी
हमको ऐसा खुदा ने बनाया नहीं-
चांद को देख कर फरियाद तो करते होंगे
तनहा होने पर हमें याद तो करते होंगे
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हम एक अकेले चश्मदीद गवाह थे,
उनके गुनाहों के
इसीलिए आज तक बेगुनाहों में
गिने जाते हैं वो-
कुछ अजीब सी कशमकश लिए,
दिल में तूफान आंखों में समंदर लिए
अपनों से बिछडना बदस्तूर जारी है
कोई तकदीर से बिछडा़, कोई तदबीर से
तन्हाइयों हावी हो रही हैं जिंदगी पर
अपने ही खड़े हैं हाथों में खंजर लिए हुए-
जो अक्सर हमारी बातें सुनकर झुंझला जाया करते थे
सुना है आज हमारी खामोशी भी खलने लगी है उन्हें-
बन गया मेरी आंखों से बहता पानी
हमने भी सीख लिया है जीने का हुनर
मुस्कुराते हुए रहना भूल कर बातें पुरानी-
बरगद की शीतल छाया सा
पापा तुम्हारा साया था
लेकिन मैं नादान जरा सी
बात समझ नहीं पाया था
जब साथ थे तुम तो एक पल भी
नहीं पास तुम्हारे बैठ सका
अब अक्सर दर दीवारों में
बस तुम को ढूंढा करता हूं
जब साथ थे तुम सब खुशियां थीं
अब घर का आंगन सूना है
सब चीजें अपनी जगह पर है
फिर भी कुछ खोया खोया है
तुमसे ही सारी खुशियां थीं
तुमसे ही सारे सपने थे
था हाथ तुम्हारा जब सिर पर
मैं बच्चा बनकर रहता था
पापा तुम्हारे जाने से
बचपन भी मुझको छोड़ गया
तुम गये तो जिम्मेदारी की
चादर ने मुझको घेर लिया
एक विनती है हम पर अपना
आशीष का हाथ सदा रखना
हर मुश्किल में राह दिखा देना
मेरा हाथ थाम कर ही रखना
मेरा हाथ थाम कर ही रखना
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निखारा था मुझे जिनके प्यार ने कभी,
तिनका तिनका बिखरा दी है आज
जिंदगी मेरी-
प्रेम के बदरा छाने वाले हैं
दिल जिसको ढूंढ रहा बरसों से
आज वो आने वाले हैं-