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एक मित्र एक राजदार
ज़िन्दगी का वो किरदार
हों अदद सी परेशानियां अवसाद सा अंधकार
मिल बात कर जो जीत कर दे हर हार।
प्यार प्रीत हो न हो
पर एक यार जरूरी होता है
खुशियों में वो हो ना हो
दुःख में वो हर बार जरूरी होता है
ऐसा क्या था जो तुम न सह पाए न कह पाए
किरदारों में जान डाल अपने ही किरदार में न रह पाए
ॐ शांति सुशांत सिंह राजपूत
🙏💐
शालिनी सक्सैना-
मन माने तो धूप उजियारा
न माने तो बस तमस सारा
मन माने तो हर मन में प्रीत
न माने तो प्रीत भी रीत
मन माने तो कुरूप ही रूप
न माने तो रूप भी कुरूप
मन माने तो जीते हार
न माने तो जीत भी हार
मन माने तो मन ही धाम
न माने तो भट्के हर धाम
मन माने तो प्यास है सत्य
न माने तो बस तृप्ति असत्य
मन माने तो एक जीवन उत्सव को कम
न माने तो एक जीवन और गम ही गम।
शालिनी सक्सैना-
न कर तू यह दिखावा ,दिखावा ही मिलेगा
लगा ले दिल प्रभु से ,अवश्य प्रभु मिलेगा ।
हर चीज को है मिटना, हर उम्र गुजर जानी
जी ले तू यह हर दिन, शान शौकत है आनी जानी।
घमंड न कर किसी का, मिट्टी से तू है पनपा
मिट्टी में मिल है जाना, मिट्टी वह घर ना आनी।
पुण्य कमा ले थोड़े, फायदा बहुत मिलेगा
संस्कारों पर चलके ,दुआओं में फलेगा।
गुजारिश न कर किसी से, भरोसे ना रहे किसी के
औरों का सहारा बन, कर ख्वाब पूरे किसी के।
मुंह फुला के क्या जिएगा, तेरी भी एक तिथि है।
कर ले तू सब से प्रेम, मरके भी जीने की ये विधि है।
इंसान बन के देख, जीवन अनमोल लगेगा
खुद का तो संवारेगा, दूजे को भी सुख मिलेगा।
जो गुजरा वो गुजरा ,लौटेगा ना वो जमाना
बुरा है तो मिटा दे, अच्छे को संजोए रखना।-
दस्तक क्या दूं अब मैं दिल पे तुम्हारे,
सुना है पुराना ठिकाना है वो तो हमारा
शालिनी सक्सैना-
पिता ही है जो कभी दोस्त की जैसे छेड़े और हंसादे।
पिता ही है जो कभी मां के जैसे गले लगाए और रुला दे।
हम घबराए तो सपनों को साकार करने का हौसला दे।
हर सुहानी चीज को सुहाना समझते हम,
और जिंदगी के उस मोड़ पर कठोर से पिता।
सैलाब सी जिंदगी में तिनके से हम, तो किनारा पिता।
*नए- नए* अरमानों में बढ़ते हम और हर मुमकिन अरमान को सच करते पिता।
दुनिया जब तक ,जब तक वो
फिर अकेले हम जब नहीं पिता।
बना जाते हमें इस काबिल
जद्दोजहद से लड़ने,
ईमान से मुस्कुराने ,
दिल से निभाने और सिखा जाते जिंदगी को खूबसूरती से जीने का सबब।
परेशानी में दुख में कठिनाई में
अडिग से पिता।
छोटी बड़ी हर खुशी में
संतुष्ट से पिता।
अगर तोलने बैठुं ,हर पल, हर खुशी,
उनकी मुस्कुराहट उनकी डांट मेरी खुशियां और उनकी "हां"!
मेरा मेरे पिता के लिए प्रेम और सम्मान
जिसके आगे छोटे पढ़ते हैं मेरे भगवान।
श्रीमती शालिनी सक्सैना
सुपुत्री स्वर्गीय श्री राजेन्द्र प्रसाद सक्सैना
८८००४११९४४-