अब यहां लोग कम बोलते हैं
टीवी बड़ बड़ करतीं है
अब चाय की चुस्कियां तो है
प्यार की गर्माहट नहीं
सन्नाटा पिसरता जा रहा है
रिश्ते अजनबी होते जा रहे है
अपनेपन से परे
अपेक्षाओं का संसार बढ़ता जा रहा है
इन कमशकश में
उलझते रिश्ते
घर के चौखट छोड़
तलाशने निकल पड़े
खुद के वजूद को
अजनबी भीड़ में
कोई अपना सा
मिल जाए ।-
Driving Force !!!
मैं कौन हूं ?
मैं क्या हूं ?
ये सवाल मेरे आरंभ से मेरे अंत तक
चलेगा साथ,
ये सवाल – जटिल है
कुटिल है
पर है अटल
इससे जुड़ा है ये संसार,
सोचती हूं
सिर्फ मानव के लिए है ये खास
या ईश्वर के पास भी
है ऐसा कोई सवाल है ।-
ना श्यामल सी भोर है
ना पंछियों का शोर है
तन को जकड़े एक ठंडी डोर है
ये शीत हवा का ज़ोर है
गिलहरी भी दबे पांव ठिठुरती
चुगने को चंद दाने निकलती
फूलों की वाटिका में शिरकती
कुछ गर्माहट के लिए तरसती
उम्मीद है उज्ज्वल सी भोर की
सूर्य के प्रकाश की
चहकती हुइ गौरेया की
छत पर फैलती गुनगुनाती धूप की-
दबे हुए सपने
आज भी कहीं
मन के किसी कोने में
एक अस्थिरता बनाए रखें हैं,
जोड़ पाऊं कुछ धागों को
और पंख दे सकूं उन सपनों
को,
ये मन स्थिरता की आस
लगाए हुए है।-
Eclipsed your soul
with wandering
to avoid the
conflict of
self despair-
leave imprints on the sand
listen to the lullaby of nature
enjoy the plenty of shades
exhale the agony of despair
inhale the nomadnss
and create your own wellness !!-
बेशुमार ख्वाइशें लिए
ये दिल
ढूंढ रहा है
एक नई शुरुवात
खुद के लिए !!-
Every evening
my heart chases
trails of you
drunk on love
ready to consume
the apocalypse
around me !!!-
क्या मज़ा है जीने में
अगर सब अल्फाजों में कह दूं ?
समझो कभी
खामोशी से बहते बूंदों को
गुनगुनाते हुए सावन के नगमों को
जो सुनाते हैं
इश्क मेरा !!-