कुछ भी लिखूँ, कुछ भी कहूँ,
बिन तुम्हारे सब अधूरा है❣️❣️-
थोड़ी सख़्त 😡 और थोड़ी सीधी 😊 हूँ मैं
जो जैसा है मेरे... read more
"पुरा पत्रकारानां कुवचंप्रसंगे कनिष्ठिकाधिष्ठित रविशकुमारः
अद्यापि तत्तुल्यपत्रकारेरभावात् अनामिका सार्थवती बभूव "
😝😝😝😝😝-
कुछ एहसास छुपे हैं सीने में..
कुछ ख्वाहिशें हैं आँखों में बंद..
जाने कब क्या हो, है ख़बर किसे?
क्यों न फ़िर, ज़ी भर के जी लेते हैं, जो मिलें हैं लम्हें चन्द..!-
सवाँर लिए ख़ुद को अगर..
दुनिया सराहेगी तुम्हें..!!
गर तराश ख़ुद को लिए..
दुनिया तलाशेगी तुम्हें..!!-
ज़िंदगी के कुछ सपनें औऱ कुछ अरमान बाकी हैं..
बनानी ख़ुद की अभी पहचान बाकी है..
सीखा है बस अभी, हुनर उड़ने का..
छूना तो अभी पूरा आसमान बाकी है..-
आलोचनाएं, इस बात का प्रमाण है..
कि ज़रूर आप, खूबियों की खान हैं..-
कभी दिल बूँद बूँद के लिए तरसता है..
कभी तू जी भर के बरसता है..
समझ ना आता तेरी रज़ा कब कैसी है..
ऐ बारिश तेरी आदतें बिल्कुल मेरे यार जैसी है..-
तुमसे मिलने का सुकून और खोने का डर भी..
ऐ इतवार तुमसे इश्क़, बेशुमार हुआ है..-
आत्मशक्ति को करे प्रबल फिर, दृढ़निश्चयी प्रतिबद्ध बने
अंतर्मन कम्पित हो जाये, भूषण के जैसे छंद बने
संस्कृति का हो पुनर्स्थापन, फिर से विश्वगुरु बने
गर भारत का बच्चा बच्चा, पुनः विवेकानंद बने-
दिखने लगी किरण एक, भरे कोहरे से इस अम्बर में..
बहुत कुछ बदल दिया, जाते हुए नवम्बर ने..!-