Shalini Mishra   (Shalini Bhagwat✍️)
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Joined 13 June 2019


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Joined 13 June 2019
19 JUN 2021 AT 15:46

कुछ भी लिखूँ, कुछ भी कहूँ,
बिन तुम्हारे सब अधूरा है❣️❣️

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2 MAY 2021 AT 11:06

"पुरा पत्रकारानां कुवचंप्रसंगे कनिष्ठिकाधिष्ठित रविशकुमारः
अद्यापि तत्तुल्यपत्रकारेरभावात् अनामिका सार्थवती बभूव "
😝😝😝😝😝

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24 APR 2021 AT 22:38

कुछ एहसास छुपे हैं सीने में..
कुछ ख्वाहिशें हैं आँखों में बंद..
जाने कब क्या हो, है ख़बर किसे?
क्यों न फ़िर, ज़ी भर के जी लेते हैं, जो मिलें हैं लम्हें चन्द..!

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21 MAR 2021 AT 15:19

तुमसे मिलने का सुकून और खोने का डर भी..
ऐ इतवार तुमसे इश्क़, बेशुमार हुआ है..

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13 JAN 2021 AT 10:17

आत्मशक्ति को करे प्रबल फिर, दृढ़निश्चयी प्रतिबद्ध बने
अंतर्मन कम्पित हो जाये, भूषण के जैसे छंद बने
संस्कृति का हो पुनर्स्थापन, फिर से विश्वगुरु बने
गर भारत का बच्चा बच्चा, पुनः विवेकानंद बने

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8 JAN 2021 AT 14:06

सवाँर लिए ख़ुद को अगर..
दुनिया सराहेगी तुम्हें..!!

गर तराश ख़ुद को लिए..
दुनिया तलाशेगी तुम्हें..!!

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6 JAN 2021 AT 20:58

ज़िंदगी के कुछ सपनें औऱ कुछ अरमान बाकी हैं..
बनानी ख़ुद की अभी पहचान बाकी है..
सीखा है बस अभी, हुनर उड़ने का..
छूना तो अभी पूरा आसमान बाकी है..

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30 NOV 2020 AT 22:36

दिखने लगी किरण एक, भरे कोहरे से इस अम्बर में..
बहुत कुछ बदल दिया, जाते हुए नवम्बर ने..!

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2 NOV 2020 AT 21:36

कहा जाता है कि "जिसे मन नहीं जानता, उसे आँखे भी नहीं देख सकतीं हैं अर्थात आंखों को दृष्टि मन से प्राप्त होती है।"
सनातन वस्तुतः मानव विकास यात्रा का अंतहीन अनुसंधान है। यह मन को दृष्टि प्रदान करता है, जिससे दृष्टि निरंतर परिष्कृत होती है।

#जय_हो_सत्य_सनातन_की
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31 OCT 2020 AT 0:34


रजत-चाँदनी, स्वर्ण-रश्मि संग उतरकर नभ-नयन पर
सुधा बरसाता शशि सुशोभित, शरद-ऋतु के आगमन पर

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