अकेले रहना अच्छा लगता है ये बात अब कहना अच्छा लगता है रेगिस्तान में जन्मा वह पौधा जी लेता जैसे तैसे लेकिन अगर मिल जाए नदी का सहारा तो शायद उसे भी अच्छा लगता है..
नही जानती थी मैं जब तुम्हें हुआ था बेइंतहा मोहब्बत हमे करती थी खुद से बात तेरी, तुझी से होती थी सुबह और रात मेरी हुयी जब तुझसे रूबरू, टूट गयी, बिखर गयी, कही खो गयी ढूंढती हू हर जगह तुझे, खाश से आम समझते हैं सब मुझे