आज मैंने राखी से सजाई
अपने भाई की कलाई ,
पर गिफ्ट मिलने के बाद ही
खिलाई थी मिठाई ।
ऐसी शरारतें रोज होती हैं
रिश्ता ही कुछ ऐसा है ,
कभी गरज तो कभी बरस देता है
भाई मेरा सावन जैसा है ।
राखी की शकल में
ताबीज़ है कहलो ,
टूटने से पहले
अपने से ना खोलो ।-
Love Myself
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