महज माफी काफी है क्या
तू मेरी नाराजगी से अब भी वाकिफ़ है क्या
चंद शब्दों में बयान कर दी तूने मेरी मोहब्बत
अरे जाओ मियां मोहब्बत भी नापी जाती है क्या-
हमे हक नहीं था उन्हें देखने का
पर ऑखों ने कभी साथ दिया ही नहीं
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ये अंधेरे में हल्की-सी रोशनी कैसी है
तुमने जो नयी दोस्त बनाई थी वो कैसी है
सुना है शायद झगड़ा हुआ है तुम्हारा
चलो जाने दो तुम्हारी जिंदगी भी कुछ हमारे ही जैसी है-
क्यों रिश्ता तोड़ने वाली 😒
उस आखिरी गलती के बाद 🙅♀️
मोका नहीं दिया जाता 🤷♀️
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हर चीज वक्त पर अच्छी लगती है 😒
और ये बात वक्त गुजर जाने के बाद पता चलती है-
Logo ki khamoshi par kaise bharosa kr lete ho jaana
Yahan to log juban se mukr jaate hain-
काले घने बादलों में
टिप-टिप सी बूंदें आए
इस हसीन मौसम में
एक-एक कप टपरी की चाय हो जाए-
तुममें ये कैसा दरिया बह रहा है
खामोशी-सी है चेहरे पर
फिर क्यों सन्नाटा इतना कुछ कह रहा है
ये आँखो में नमी कैसी है
क्यों ये इश्क़ कतरा-कतरा बह रहा है-
सोचते रहिए
सपनों की मंजिल
खोजते रहिए
कभी मिले फुर्सत तो
सोचना बैठकर
कितना और चलना बाकी है
बरना जिन्दगी क्या है
बस यही सोचते रहिए-
हैं
फिर भी बे-रंगा है
चांद की चांदनी को
क्यों सूरज ने घेरा है
कुछ बुंदे काफी है पानी की
फिर क्यों दिल में
समन्दर का बसेरा है
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