हृदय का नाद बनता
मन से मन का
हो रहा ऐसा मिलन है
दोपहर की धूप में अब
जगमगाता सा चमन है
गूंजित हैं अब दिगदिगंत
प्रभु श्री राम का यह आगमन है
साज धरती का
सजीलापन गगन का
फूल कलियों की सुरभि से
महका हुआ बहता पवन है ।
क्लांत और एकांत ध्वनि स्पंदित दिशाएँ
जय श्री राम धुन में रम रहा अब प्राण मन है
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