Shalini Jha  
957 Followers · 459 Following

shalinijhapoetry@gmail.com
Joined 30 May 2018


shalinijhapoetry@gmail.com
Joined 30 May 2018
10 MAR AT 16:03

दुःख में ही जन्म ली
दुःख ही बाराती
दुःख संग ब्याही गई
दुःख ही संग साथी

-


1 MAR AT 13:26

सुख संसाधनों के बीच
अशांत मन में दुःख ढोने से अच्छा है
शांत मन से मिल बांटकर दुःख में जीना !

-


19 JAN AT 20:41

हृदय का नाद बनता
मन से मन का
हो रहा ऐसा मिलन है
दोपहर की धूप में अब
जगमगाता सा चमन है
गूंजित हैं अब दिगदिगंत
प्रभु श्री राम का यह आगमन है

साज धरती का
सजीलापन गगन का
फूल कलियों की सुरभि से
महका हुआ बहता पवन है ।
क्लांत और एकांत ध्वनि स्पंदित दिशाएँ
जय श्री राम धुन में रम रहा अब प्राण मन है

-


23 NOV 2023 AT 20:45

समय का चक्र कुचक्र
क्षण प्रतिक्षण सुई की नोक पर
चलता रहता है।
यह किसकी ओर इंगित है और
इसके भंवर में कब कौन फंसे
यह कोई नहीं जानता .....

-


7 NOV 2023 AT 21:05

होनी सदा मन की आँखों पर पट्टी बाँधे
हाथ पकड़ कर घटनाचक्र की
परिधि तैयार करती है और घटित होने के
पश्चात ,असीमित
हृदय हरकंप के साथ या तो
पश्चाताप हाथ लगता है या स्तब्धता के अश्रु

-


1 NOV 2023 AT 19:59

उदासीनता तब नहीं खलती,
जब प्रस्तर बनी पीड़ा
में आ ठहर जाती है
दीर्धकालीन भाव शून्यता

-


31 OCT 2023 AT 20:01

समय , समय समय पर
किसी न किसी कुसंयोग के
चपेट अवश्य आता है ।
जहाँ पश्चाताप की अग्नि कूंड में
कुमति में हुई भूल ही मात्र
जलती हुई समिधा होती है ।

-


30 OCT 2023 AT 17:20

समय का प्रवाह भी
इतना तीव्र होता है
बहते बहाव में
बहाता तनिक ठहरने की
मोहलत नहीं देता कभी कभी ...

-


27 OCT 2023 AT 20:18

घर तो अपना ही था
अपनों का सिलसिला
कोई कहीं शिकवा लिए
कोई लिए गिला
धूप छाँव में रही
दास्तान ए ज़िन्दगी
न पंख ही मिला
न परवाज़ ही मिला


-


26 OCT 2023 AT 20:01

भीतर कभी ढूँढा ही नहीं
बाहर कहाँ मिलते हम ...

-


Fetching Shalini Jha Quotes