चाँद मध्धम है आसमां चुप है
नींद की आग़ोश में ये जहां चुप है
दूधिया बादल झुक के पर्बत को प्यार करते हैं
दिल में नाकाम हसरतें लेकर हम तेरा इंतज़ार करते हैं
इन बहारों के साए में आज मुहब्बत जवान है कल रहे न रहे
ज़िंदगी हम नामुरादों पर कल तक मेहराबां रहे न रहे
रोज़ की तरह आज भी तारे सुबह की गर्द में ना खो जाएं
आ तेरे ग़म में जागती आँखें कम से कम एक रात सो जाएं !-
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आज मेरे उनका जन्मदिन है❤️
जो दिल का दर्द हैं
तो सुकून भी वही हैं
दर्द की दवा भीं हैं
रोज़ की दुआ भी वही हैं
नज़र में भी हैं तो
नज़ारों में भी वहीं हैं
मन्नत भी हैं तो
चाहत भी वही हैं
हमसफ़र भी हैं
और मंज़िल भी वही हैं।
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तुम नफ़रत करो मुझसे
मैं वो भी सह लूंगी
तुम्हारी सलामती के लिए
तुमसे दूर भी रह लूंगी-
ढूंढने चलो तो सुकून सिर्फ खुद में है
दूसरों में तो सिर्फ उलझनें ही मिलेंगी
–विनीता सिंह
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प्रशंसा भी योग्य की होनी अच्छी लगती है,
किसी अयोग्य को यदि आप योग्य के समान तौल देंगे
तो अयोग्य अभिमान और योग्य अपमान से भर जायेगा🙏🏻🌹-
जब दिल किया बिगाड़ दी
जब दिल किया संवार दी
ज़िंदगी तो मेरी ही थी वो
पर किसी और ने गुज़ार दी-
"जब भी हद से ज्यादा सह लेती हूं,
तो अक्सर दिल खोल के कह लेती हूं"
____घुटन किस बात की?
____उलझन किस बात की?
____सोचूं किस लिए?
____रुकूं किस लिए?
मैं जहां असहज महसूस करूं
असहजता दर्शा देना मेरा हक है।
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हां! परेशान हूं मैं
हर उस बात से जो
कह नहीं सकती
हर उस दर्द से जो
सह नहीं सकती
हां! परेशान हूं मैं
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