मैं नुक्कड़ के बेसबब बवाल सा
वो शायर के पाक ख्याल सी है
मैं जंग लगे खंजर की तरह
वो ज़ख्म पर रुमाल सी है
मैं सीधा सरल हिंदी की तरह
वो गणित के किसी सवाल सी है
मैं ढलते हुए सूरज की तरह
वो चाय के सुर्ख उबाल सी है
मैं गम मे भी मुक्कमल हूँ
वो सुकून मे भी मलाल सी है-
" Nothing is Permanent "
अपनी हार का जश्न मैं मनाता कहाँ
गर मैं यहाँ नहीं आता तो जाता कहाँ
इस मैखाने के कर्ज़ बड़े है मुझपर
मैं बोतल को मुह न लगाता ये मेहर चुकाता कहाँ
मैं ठहरा एक मामूली सा जुगनु
खुद को ना जलाता तो आज़माता कहाँ
इतना करीब आ कर बिछड़ा है वो मुझसे
यहाँ बेवफाई न जताता तो निभाता कहाँ
खुद को मनाने की कोशिश मे हू कब से
अब ना बहलाता तो जिस्म दफनाता कहाँ
-
आदतन तो ये हमारी अदा नहीं
गर आपको पसंद है तो हम आदत बना लेंगे।।-
आज खुशियाँ तो बहुत आयी थी मिलने मुझसे
लेकिन उसके एक गम ने मुझे उदास कर दिया......-
कुछ सलाह और तजुर्बो से ज़िंदगी बेज़ार कर के देखते है
गर कुछ ना मिला तो खुद को औज़ार कर के देखते हैं
नाउम्मीद मे रहे न जाने कब से
अब थोडा इन्तज़ार कर के देखते है।
खुद ही खुद मे गुम रहे ताउम्र
चलो किसी ओर पर एतबार कर के देखते है।
ये दोस्ती-वोस्ती का सिलसिला बहुत हुआ
चलो अब किसी से प्यार कर के देखते है।
जो अगर कुछ करना ही है
तो चलो इज़हार कर के देखते है।
उजड़ा अतीत है तो क्या हुआ
बाकि ज़िंदगी गुलज़ार कर के देखते है।
-
तेरे मेरे दर्मियाँ तो कुछ बाकि नहीं अब
तेरी यादो को भुलाना इतना मूहाल क्यू हैं ।।
रोज़ करता हू कोशिश तुझे भुलाने की
तू मेरी हर सुबह का पहला खयाल क्यू हैं ।।
यू तो कोशिश है तेरी फ़िक्र ना करु अब
तेरी खैरियत जानने के लिये मन मे इतने सवाल क्यू हैं।।
तेरे साथ होने से परेशानियाँ थी कई मुझको
अब तू नहीं तो ज़िंदगी मे इतने बवाल क्यूँ हैं।।
-
वो खुला आसमान
मैं जमी हूँ
वो बारिश की बूँद
मैं नमी हूँ
जो आज भी खलती है उसको
मैं वो कमी हूँ-
Ek wo tha
badal gya,
Ek me tha
Bikhar gya,
Ek waqt tha
guzar gya........-
उम्मीदों के सूरज तो कई देखे है
सितारों से आस की वो रात ही कुछ ओर थी
एक रात ठहर कर आया हूँ कयामत के शहर मे
पर तेरी नादान मुस्कान की बात ही कुछ ओर थी
यू तो देखी है कई बारिशे हमने
जिसमे भीग रही थी तु वो बरसात ही कुछ ओर थी
रोज़ मिलने आती है खुशियाँ मुझसे ज़िंदगी बन कर
तुझसे वो पहली मुलाकात ही कुछ ओर थी
-
महोब्बतो का शहर एक पल मे बर्बाद हो गया
एक सच्चा आशिक़ प्रीत से आज़ाद हो गया...-