ग़लतफ़हमी थी एक वादा ही काफी है साथ निभाने के लिए
ए दिल मत हो उदास, वो आया ही था जाने के लिए
एक वक़्त था जब हम जान थे एक दुसरे की
अब वो भूलना चाहती है मुझे, मैं भी दुआ करता हूँ उसे भुलाने के लिए
इस नए दौर मैं रूठना तो सोच समझकर रूठना
आता नहीं अब कोई मानाने के लिए
बड़ा गुरूर है उसे अपनी रौशनी पर
कोई बताए उसे एक हवा का झोंका ही काफी है दिया भुझाने के लिए
बड़ी मुश्किल से मिलते है वो दोस्त जिनसे दिल की बात कर सकें
अब दोस्त मिलते तो हैं, पर बस पीने पिलाने के लिए
एक झूठी उम्मीद थी, कोई तो समझेगा मुझे
जो आया वो आया बस समझाने के लिए
अजीब बात तो ये है, जीते जी तनहा रहा उम्र भर
मर गया तो भीड़ आ गयी दफ़नाने के लिए
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