आज,
अख़बार,
नहीं आया,
घर पर।
सच,
बहुत,
सकून रहा,
दिन भर।-
जन्मदिवस - 6 जून, संपर्क - +91-976921597... read more
मेहंदी उसने हाथों में रचाई है,
और निखरे - निखरे हम हैं।
फूल उसने गेसू में लगाए हैं,
और महके - महके हम हैं।-
नकली बाजार के रंग कच्चे सारे,
फूल टेसू के अब कहां खिलते हैं।
रंग दे जो मन को इस दुनिया में,
ऐसे लोग हमें अब कहां मिलते हैं।-
जिंदगी की,
नौकरी में,
कुछ दर्द,
संविदा पर,
मिले थे मुझे।
कुछ इस तरह,
मेरा साथ,
भाने लगा उन्हें।
धीरे धीरे,
वो दर्द सारे,
permanent हो गए।
सच्चे दोस्त की तरह,
छोड़कर अब,
जाते नहीं मुझे।-
बातें नहीं करता हूं,
अब तुमसे,
तो क्या..
व्हाट्स एप के,
स्टेट्स पर,
गाने तो आज भी,
तुम्हारी पसंद के ही,
लगाता हूं मैं 💕
अकेले होकर भी,
तन्हा नहीं,
रहता हूं मैं।
पांच मिनट के,
उस गाने में फिर,
मीलों तुम्हारे साथ,
चलता हूं मैं।-
बहुत परेशान करता था,
वो हर दिन मुझे।
धीरे धीरे मैंने,
उसकी अहमियत ही,
कम कर दी जिंदगी से।
मैं उसको भूलने लगा,
फिर सब ठीक होने लगा।
अब मैं सुकून से रहता हूं,
और मेरा "दर्द" परेशान।-
सीख लिया है मैंने,
घने कोहरे में जीना।
ऐ धूप घर लौट जा,
और ना सता मुझे।-
यूं तो,
जिंदगी में,
कई कैलेंडर,
बदल गए।
मगर,
कुछ तारीखें,
आज भी,
संभालकर,
रखी हैं मैंने।-