एक तरफा इश्क़ की कीमत चुकाई नही जाती
निभा रहे है जो मोहब्बत वो अब निभाई नही जाती— % &-
ढलती जिंदगी के साथ ढल रही उम्मीद
अधूरी न रह जाए कहीं हसरत ए दीद
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बात हुई घंटो पर सामने कुछ कम मिले
जितने भी मिले हमसे क्या खूब उनसे हम मिले— % &-
बात शुरू हो अगर तो आगे बढ़ाना भी जरूरी है
इश्क हो एकतरफा तो जी जान से उतर जाना भी जरूरी है
और बहुत देर हो चुकी थी तब जाके ये बात समझ आई हमे
प्यार करो किसी को हद से ज्यादा तो उसे बताना भी जरूरी है-
ज्ञान का दर्पण है व्यक्तित्व को सजाने के लिए
मूर्ख है वो लोग जो तैयार है मारने और मर जाने के लिए
नफ़रत में जलती लाखों की भीड़ या तीर तलवार की क्या जरूरत
एक विवेकानन्द ही काफी है सभी धर्मों को बचाने के लिए
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तुम्हारी याद में बदले है लहजे, बदले है लाखों गाने
दोस्तों से आज भी सुनते है तेरे खातिर ताने बाने
और गलती से कभी नजर पड़ेगी हमारे लिखे शब्दों पर तो शायद लौट आओगी तुम
लिखता रहता हूं शायरियां मैं बस इसी बहाने
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ख़्वाब , खयाल , उम्मीद , तलाश सब है
थोड़ा बेकरारी है जो बढ़ने लगी अब है
बात हो अगर उनसे कभी तो बस यही सुनना चाहते हम और बताओ शायर,कहां और हमसे मिलना कब है-
ज़िक्र ऐसा कभी नहीं किया जो तुझे खलने लगे
आवारा कहते है लोग उसे जो शायरी में जिंदगी चलने लगे
तुमने तो हां कह दिया मगर डर हमे इस बात का है
कहीं तेरे गाल चूमूं तो कमबख्त मेरे होठ न जलने लगे-