हर किरदार के पीछे छुपी होती है एक अधूरी दास्तान,
जिसे फिर महसूस करने कोई सिरफिरा ही निकलता है।
वरना रहस्यों की इस धुंध भरी दुनिया में
इतनी दूर भटकने की वजह कौन पूछता है?-
खुशनसीबी अपनी कुछ इस कदर थी आज, कोई
सफर सैकड़ों मील करके खिड़की पर दस्तक दे गया-
मैंने ख्वाबों में तुझे देखा, पत्थरों में तलाशता हूं,
तेरा एक अक्श मिल जाए , जाजाबोर बन बैठा हूं-
कुदरत रंग तेरे ज्यादा समझ नहीं पाया
मुझे दिखा वही जो मेरे मन को भाया-
कहानी शुरू होकर खत्म भी होगी ही
किरदार काबिल हुए तो याद रखे जाएंगे-
किरदार कुछ इस कदर मजबूत रखो अपना
काग़ज़ में उतरकर चौराहे पर जो बिकने लगे-
मैंने करवटें बदलकर भी बहुत देखा है
ख्वाबों में भी साथ नहीं छोड़ा है तुमने-
यह जीवन कभी नहीं मरता है
अश्रु धारा बहाने वालों, दोषारोपण करने वालों
देख कंदराओं में जहां मानवता का सृजन होता है
भला कुछ सपने बिखरने से, जीवन खत्म होता है
यह जीवन कभी नहीं मरता है..
पूछो कभी इन पेड़ों से, धरती चीर कर जो बीज़ उगे
चमकते शिखरों से बतियाओ तूफानों में जो खूब खड़े
भला कुछ पानी बादल बन उड़ समन्दर सूखा करता है
यह जीवन कभी नहीं मरता है..
झरना जमने से कभी बहना नहीं वो भूला करता है
दावानल से अभ्यारण्य क्या कभी सूखा करता है
सितारा एक टूटा तो आसमाँ कभी खाली होता है
यह जीवन कभी नहीं मरता है..
नए सूरज को तैयार करने ये सांझ हमेशा ढलती है
कुदरत को रंग देने सावन हर बार बरसा करता है
कुछ दीपों के बुझने से भला हमेशा अंधेरा रहता है
यह जीवन कभी नहीं मरता है..-
मुझे मचलकर अंगड़ाई लेते न देख मुसाफिर
मैं बस एक पहाड़ी सुबह हूं तेरे सफरनामे में-