हर मोड़ पर दगा देती किस्मत
हर ठोकर पर उठ जाने वाले को कैसे रोक लेगी!-
Writes some emotions,
But i m not a writer.
अब तो शाम का धुंधलका है
कुछ देर में दिखना और कम हो जायेगा!
दिन के उजाले में मिले होते
तो कुछ और बात होती!!-
कि अच्छाई की राह पर चल कर
बुराई क्यों मिलती है?
जिस समय सबका साथ चाहिए
तब ही तन्हाई क्यों मिलती है?
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हमने उसे रोका टूट जाने की हद तक
मगर वो ना रुके ,,,,, टूट जाने की जिद तक-
चल उस संग
मन भर उस संग
पग पग चल उस संग
हर रंग भर उस संग
भर कर उमंग उस संग
चल मन चल उस संग-
क्या ऐसे ही जीना है?
क्या यही जिंदगी है?
बड़ी डरावनी है!
जीने देती नहीं
और जिंदगी कहलाती है!!-
बखत बखत की बात है
जब चूल्हा जलता था तो मोटी जली रोटी भी पौष्टिक थी!
अब गैस पर झटपट बनी पतली रोटी भी पेट खराब कर देती है!!
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