Shakshi Mudgal   (Entangled)
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•Magic•✨


BE KIND :)
Joined 6 February 2019


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BE KIND :)
Joined 6 February 2019
19 MAR 2022 AT 22:37


ना जाने उसके शहर की लौ, किस रूई से जाकर उलझा है?
मैं जितना उसे बुझाती हूं, वो उतना मुझे जलाता है ।

दिल की उसकी मकां में, शायद कमरे खाली बहुत होंगे,
मैं लफ्ज़ किराया भरती हूं, वो हर राज़ मेरे छिपाता है ।

और शायद उसकी घर तक राह, जन्नतों से भी हसीन होगी,
मैं कैद इरादें करती हूं, दीवारें तोड़ निकल जाता है ।
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18 MAR 2022 AT 2:33

हो सके तो अपना सारा प्रेम मेरे नाम कर दो,
तुम्हें जुर्म बना लूं मैं अपना, मुझे इल्ज़ाम कर दो ।— % &

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18 MAR 2022 AT 2:15

वो कहते थे, जो मुझसे प्रेम है उसे उतार दो सियाही में,
पर जो मजा उनकी कैद में है, वो कहां लफ़्ज़ों की रिहाई में ।— % &

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1 MAR 2022 AT 23:10

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13 FEB 2022 AT 18:24

– Shakshi Mudgal and Niveditha kalyanaraman— % &

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12 FEB 2022 AT 23:34

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21 DEC 2021 AT 6:34

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14 DEC 2021 AT 22:00

I held on to you like,
Drops of different ocean
Holds on to the same sky.

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10 DEC 2021 AT 21:21

Parents signature on test paper where you score good.

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6 DEC 2021 AT 22:17

I fell in love

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