मेरी कहानी का अंजाम पूछते हैं,
बार-बार क्यूं ये तेरा नाम पूछते हैं
कई राज दफ़न हैं मेरे सीने में
मैं क्यूं हुआ बदनाम पूछते हैं
इश्क़ में तो बेहद दीवाना था मैं
फिर क्यूं हुआ नाकाम पूछते हैं
फ़िक्र करते हैं मेरे चाहने वाले मेरी
आया क्या कोई उसका पैगाम पूछते हैं,
ना तय कर सका इश्क़ का सफ़र मेरे साथ
कौन है वो बदनसीब गुमनाम पूछते हैं
वो तो भूल गया होगा मुझको याद करना
मैं क्यों हु उसके यादों का गुलाम पूछते हैं-
अगर जिन्दा रहना है तो मरना पड़ेगा क्या
मेरा जनाजा निकल रहा हैं
उसकी गली से एक वह है
हाथो में मेहंदी सजे- ऐ- बैठे है
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तुम साथ नहीं तो क्या मैने हंसना थोड़ी छोड़ा हैं
तुम साथ नहीं तो क्या मैने चलना थोड़ी छोड़ा है
महज दरिया ही तो रुका हुआ हैं
मेरी आंखो ने रोना थोड़ी छोड़ा हैं
क्या हुआ अगर में खामोश हूं
मैने ज़िन्दगी से लड़ना थोड़ी छोड़ा हैं
शैर हो रहा हैं मेरी ज़िन्दगी में कहीं तो क्या
मैने खामोशी में रहना थोड़ी छोड़ा हैं
में निंदो में याद किया करता हूं तो क्या
मैने तस्वीरों को देखना थोड़ी छोड़ा हैं
फाकत एक याद ही तो आती है इन वीरान तो क्या
मैने तकियो में लिपटना थोड़ी छोड़ा है-
समा जाते है लोग दिल में ऐतबार बनकर
फिर लूट लेते है ख़ज़ाना पहरेदार बनकर
यकीं करता है इन्सान जिनपे हद से ज्यादा
डुबों देते है वो ही कश्ती मझदार बनकर
रिश्तों की अहमियत खूब समझती है दुनिया
पर लालच आ जाता है बीच में दिवार बनकर
दौरे-मुश्किल में वसूलों पे चलते है बहूत लोग
पर भुला देते है वसूलों को मालदार बनकर-
कहो तो लहु से सीच दू
तेरे दिल का अशियाना
बस यह तो बताओ की
फिर में आजाद हो जाऊंगा ना-
मेरा तो जानाजा भी तेरी गली से
ना जा पाया और
हवाओं का मुकद्दर देखो
आज भी तेरे गली से हो कर गुजरती हैं
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तुम्हारा एक पल साथ खरीदने के लिए...
थोड़ी-थोड़ी ज़िन्दगी रोज़ बेचते हैं हम...-
बहुत तेज़ हो गई है
ये भाग दौड़ भरी दुनिया~
लोग कब्रिस्तान में भी पहुंच जाते हैं
जनाजे से पहले
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