Shaily Chaurasia   (शैली Imperfectlyperfect)
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Joined 21 April 2017


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Joined 21 April 2017
21 APR AT 23:44

ये काग़ज पर बिखरे शब्दों से लगता है जिंदा हैं हम
वरना ना लिखने की क्षुब्धता तो है मरने जैसी ...

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20 APR AT 18:42

खुशियाँ चुननी पड़ती हैं जीवन में
दुःख अपने हिस्से के चुने हुए मिलते हैं।।

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11 MAR AT 0:14

हम जैसे होते हैं वैसे कहाँ रह जाते हैं
वक़्त के साथ हम जाने कितना बदल जाते हैं...

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27 FEB AT 16:38

बहुत कुछ जीने के लिए
कितना कम जीते हैं हम।।

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25 FEB AT 15:43

इतना बचकर भी क्या जीना
कि ज़िंदगी छू भी ना पाये।।

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18 FEB AT 18:03

खुद में खुद के निशाँ ढूँढते हैं
दूर शहर ख्वाबों के मकां ढूँढते हैं।।

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9 FEB AT 1:53

सुबह नहीं तो शाम मिलिये
खुद से एक दफा हर रोज मिलिये।।

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3 FEB AT 19:47

धीरे धीरे सब शौक खत्म हुये जा रहें हैं
जाने किस होड़ में जिये जा रहें हैं।।

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28 JAN AT 10:53

कोरे सफहे में उनका नाम लिख देंगें
मयस्सर हर अधूरे ख्वाब लिख देंगें।।

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24 JAN AT 2:53

सुकून खोते हम सब।।

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