"चाय" और "बनारस"
(अनुशीर्षक में पढ़े)-
Psychologist counsellor🪑
बनारसी लेखिका✍
काशी की दुलारी का... read more
तुम्हें देखकर लगता है,
कि दुनिया कितनी खूबसूरत है
बिल्कुल तुम्हारी तरह।-
तुम मेरी आदतों में से सबसे पंसदीदा आदत हो,
इसलिए तो हर रोज़ सुबह उठकर तुम्हारी इस कोमल
मासूमियत को संवारती हूं जो तुम इतने खूबसूरत हो।
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रंगों की भी अपनी दुनिया है
इसमें ढ़ेर सारी संभावनाएं है
और तुम तो हर रंग में डूबे हो
जिसमें एक उम्मीद, अल्हड़पन
से भरी दुनिया तुम्हारी है और
तुम यूं ही हमेशा खुश रहो, हंसते
व मुस्कुराते रहो, एक रंगीन दुनिया
में रहो तुम पर उदासी की तारीख़ कभी
दस्तक ना दें, सिर्फ़ खुशी का रंग निछावर हो।
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बहुत कुछ लिखना था तुम्हारे लिए लेकिन जब-जब लिखी सिर्फ़ बनारस के लिए, वही ठहराव, वही घाट, वही नाव, वही नदी, वही मन्दिरों में घन्टी की आवाज़, वही गंगा आरती, वही हम और तुम एक साथ किनारे पर बैठे मिले तमाम कहानियों के बीच में एक कविता की तरह मै तुम्हें गाती रही और तुम मुझे सुनते रहे।-
ज़िन्दगी इन दिनों, तुम बिन कुछ यूं ही सी
(गुज़र गया वो साल पर मौसम न गुज़रा)-
मैंने कोई किताब तो नही लिखी,
लेकिन किताबों को पढ़कर
लिखती हूँ। ✍
वर्ल्ड_बुक_डे-
एक खूबसूरत लड़की
जब चौरासी किताब पढ़ती है,
इधर-उधर ध्यान ना सही
लेकिन सेल्फ़ी में जरूर लगाती है,
यही तो उसकी विशेषता है
जो उसे बेहद खूबसूरत बनाती है!-