शैली   (@sanguineshaili)
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ये ब्रम्हांड और कविताएं मुझमें ही निहित हैं ♾️💫
Insta I'd @sanguineshaili
Joined 9 July 2020


ये ब्रम्हांड और कविताएं मुझमें ही निहित हैं ♾️💫
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Joined 9 July 2020
18 OCT 2024 AT 18:46


मन का लगना
और
मन का लगा दिया जाना
दो अलग बातें हैं
~शैली

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17 JUL 2024 AT 7:40

प्रिय......,
मैं चाहता हूं
तुम्हारी बेचैनियो को समेटना
तुम्हें खत लिखना
और तुम्हारे ख्याल को गले से लगाना,
तुम मेरे कांधे पर सर रख कर
अपनी बैचनियों को मिटा देना चाहती हो
जबकि मैं तुम्हें गले लगा कर
तुम्हारे दर्द को अपने सीने में उतार लेना चाहता हूं,
तुम्हारे सपने को अपनी आंखों से देखना चाहता हूं
मैं जनता हूं, तुम बहुत खास हो ....
~तुम्हारा मैं
~शैली

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23 MAY 2024 AT 10:34

कला है ही ऐसी चीज़
मृत्यु में भी जीवन ढूंढ ले,
सब कुछ समय,
परिस्थितियां और नजरिए से तय होता है
कि हम कहां हैं और क्या कर सकते हैं।
हिटलर को बचपन में चित्रकार बनने की इच्छा थी,
काश किसी ने उन्हीं चित्रकार बनने दिया होता,
कम से कम विश्व के वर्तमान परिदृश्य की दशा और दिशा दोनों में फर्क होता।
~शैली

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27 OCT 2023 AT 23:49

आज की खामोशी भी कल शोर बन जाएंगी
जुगनू की खवाहिशे चुरा कर रात ले जाएंगी
किसी शाम को पुरानी बातें याद करना तुम
कुछ कहानी मेरे हिस्से आएंगी
कुछ तुम्हारे हिस्से जाएंगी

शैली

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26 OCT 2023 AT 22:40

एक दफा
मौसम बीत जाने पर
पत्तो के सुख कर गिर जाने पर
टेहनी के पेड़ से अलग हो जाने पर
किसी पेड़ के कट जाने पर
बारिश ख़तम हो जाने पर
शाम के ढल जाने पर
चाँद के चले जाने पर
लौट कर आने का सब्र होता है
लेकिन टूटे मन का फ़िर से जुड़ना
खत्म हुए सब्र के
फिर से लौट कर आने
की ख्वाहिश
मुमकिन नही होती
~शैली

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17 OCT 2023 AT 23:23

अक्टूबर की एक शाम को
मैं सोच रही थी
क्या लिखूँ,
कुछ नई कहानियाँ लिखूँ
या कोई पुराना ख्याल लिखूँ
कुछ बची हुई यादों के संदूक से
मैं किसकी तस्वीर तलाश करूँ
अपनी ही किसी पुरानी तस्वीर में
कोई नया किरदार ,देखने लग जाऊँ
कौन समझे, किसी से अब क्या कहूँ,
अक्टूबर की एक शाम को
मैं सोच रही थी
क्या लिखूँ
शैली




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11 OCT 2023 AT 13:31

कहानियाँ उतनी ही कहो
जितनी कोई सुनने को तैयार हो,
कहानियाँ नही चाहती
कि वो अनसुनी कर दी जाए,
कहानियों मे इंसान से ज्यादा
आत्म सम्मान है,
वो ठोकर खा कर ही
पुख्ता होती हैं
और
कमजोर भी

~शैली

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7 OCT 2023 AT 23:04

वक़्त तो किसी भी रिश्ते की रीढ़ है
रिश्तों को जिंदा रखने के लिए
वक़्त और साथ दोनों जरूरी है
शैली

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2 OCT 2023 AT 15:19

किसी गलती की माफी देना
बहुत अच्छी बात है, लेकिन
मन में द्वेष कम हो सकता है
कोई पूरी तरह भूल जाए
ये कहाँ संभव है
~शैली

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27 AUG 2023 AT 11:49

लाख ख्वाहिशें कहना चाहूँ मैं
तेरी ही बातें तुझसे करना चाहूँ मैं
खामोशी मेरी पढ़ सको तो पढ़ो
हर बात पर तुमसे मुस्कुरा कर मिलना चाहूँ मैं
तुम्हारी आस मे बैठ कर,
अपने खाली मन को भरना चाहूँ मै,
जिन राहों पर चलना है ,
वो राहें आसान नही लगती
उन राहों पर तुम्हारा हाँथ थाम
आगे बढ़ना चाहूँ मै,
तुम्हारी गलती को भी अपनी बताऊँ मैं,
श्याद डरती हूँ,
किसी बात पर तुमसे नाराज न जाऊँ मैं,
जहाँ तक चल सको साथ चलते रहना,
तुम्हारी आँखों से
अपनी मंज़िल को देख पाऊँ मैं,
बेशक तुम नही,
लेकिन तुम्हारे होने भर से
अपने सपने को पंख लगाऊं मैं
~शैली

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