shailesh mishra (veer)   (क्योंकि...??¿¿)
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Joined 7 September 2018


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12 FEB 2022 AT 18:12

ये कैसा झंझावात आया है हमारी ज़िन्दगी में,
कोई गले भी लगता है तो खंज़र घोंपने के लिऐ।

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11 FEB 2022 AT 13:49

Promise day🤝🤜🤛
प्रेम में पङ कर इतना रुलाया गया,
दिल से महबूब के भी भुलाया गया।
वादे करके पिन्हाया जो उंगली में था,
वह भी छल्ला हमारा घुमाया गया।।

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10 FEB 2022 AT 20:02

बङे सपने थे आँखों में जो लाये थे शहर हमको,
मगर अब दिल ये कहता है कि गाँवों को लौट चलें।

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10 FEB 2022 AT 9:56

अरे! समझाओ तो कोई उसको,
कि यह गिर के टूट जाऐगा,
वह लङकी उछालती है मेरा दिल,
एक 'टेडी' समझ करके।

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9 FEB 2022 AT 9:00

ये प्रेम की श्रृंखलायें लिपट जाऐंगी,
भूल त्रुटियाँ हृदय में सिमट जाऐंगी।
मिलने आना तो चाॅकलेट ले के आना,
जितनी कङवाहटें हैं वो मिट जाऐंगी।।

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7 FEB 2022 AT 20:36

वो हँसती है फूलों की तरह,
वो लङकी गुलाब तो नहीं।

वो जिसकी इक झलक देखी,
वो लङकी मेरा ख़ाब तो नहीं।
"मन"

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5 FEB 2022 AT 9:31

विद्या से बङा वरदान न कोई,
विद्या से बढकर दान न कोई।
विद्या ही मन को तृप्त कर है,
विद्या से बढकर मान न कोई।।

विद्या से भाव, विभाव मिले,
विद्या से ही अनुभाव खिले।
विद्या जीवन की ऐसी शैली,
विद्या से अच्छा स्वभाव मिले।।

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30 JAN 2022 AT 18:48

अनसुलझे से किस्से बापू,
सबकी समझ से बाहर हैं।
हम तो अपनी बात कहेगें,
हम तो कहने में नाहर हैं।।

बापू तेरा बहुत बङा कद,
हम तो बौने से लगते हैं।
पूरी की ही बात करें क्या,
आधे और पौने लगते हैं।।

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29 JAN 2022 AT 10:38

तिनका-तिनका जोङ-जोङकर महल बनायेगें,
तुम आने की तैयारी करना हम तुम्हे बुलाऐगें।

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26 JAN 2022 AT 20:01

जन्नत के उस दिन निकट जाऊँगा मैं,
धरती की बाहों में सिमट जाऊँगा मैं।
या दुश्मन की छाती में तिरंगा लगा दूँ,
तिरंगे में या फिर लिपट जाऊँगा मैं।।

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