Shailesh Kumar Arya   (शैलेष की कलम ✍🏻)
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Joined 12 November 2022


Joined 12 November 2022
YESTERDAY AT 1:34

बिना स्वार्थ और बिना मुलाकात के प्रतिदिन
याद करने वाले सौभाग्य से मिलते है!!

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10 JUL AT 1:42

तेरा चेहरा. तेरी बातें. तेरी मुस्कान.
इतनी दौलत कहाँ थी पहले मेरे पास !! ❤️🌸

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24 JUN AT 8:53

ना विवाह ना फेरे है..
बस एहसासों से हम तेरे है!♥️

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24 JUN AT 1:28

सवालों में उलझी थी वो लड़की,
कभी अपनी किस्मत पे यकीन ना कर सकी।
इक दिन मोहब्बत खुद खिड़की पे आ बैठी,
मगर वो फिर भी उसे पहचान ना सकी…!

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17 JUN AT 11:59

सवेरे-सवेरे जद मेरी अख खुल्ले
ता तेरा चेहरा होवे मेरे सामने,
इस ख्वाब नूं पूरा होण च चाहें लग जावे थोड़ा समा,
पर हर वारी तेरा नोटिफिकेशन आवे मेरे फोन ते।हो

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12 JUN AT 10:09

तुमसे मिलना ही इसलिए है तुम्हारी कसक मिटा सकूँ
बाते तो बहुत कर ली अब बस तुम्हें तुमसे मिला सकूँ
है कुछ बाक़ी अरमान तो वो भी बता देना
क्यूँकि छुट्टी है मेरी बस दो दिन की जिसे जीके तुम्हारे साथ
पूरी ज़िन्दगी ना भुला सकूँ।

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12 JUN AT 0:22

कुछ चुभ सा रहा है दिल में पर पता नहीं क्या
कुछ अटका सा है मन में पर पता नहीं क्या
इक पल को तो ख्वाहिशों का गुलिस्तां है दुनिया
तो कभी रेगिस्तान है ये जहान पर पता नहीं क्यों
आंखे भर सी आती है किसी की याद से
मगर वो ही याद नहीं पता नहीं क्यों
कहने को तो हर खुशी है मेरे पास
पर इक कसक सी भी है दिल में पता नहीं क्यों
यूं तो चाहतों का समंदर है मेरे पास
पर फिर भी लगी है प्यास पता नहीं क्यों।

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9 JUN AT 13:29

कि उन्हनू छुट्टी वी ना पसंद मेरे तों बिना
पहलां ही ने बहुत दूरियां मिले तों बिना
मैं गल नां करां जद दूजे शहर जा के
उन्हनू दूजा शहर वी नी पसंद मेरे शहर तों बिना
कदी कदी कॉल वी ना करां जद दूर हो के मैं
ते उन्हनू फोन वी नई पसंद मेरी कॉल तों बिना।

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31 MAY AT 1:34

दिल माफ़ करना जानता है हमारा,
बस भूलने की आदत नहीं इसे।

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30 MAY AT 18:24

हाय लगवा दिया है पर्दा सनम ने सामने की खिड़की पर
की कोई नज़र न उसे दूजी छू सके
इक नज़र की हिफाजत यूं की उसने
मानो मिल एक रूह को अपनी रूह सके
बड़ी पाकीज़ा सी होती हैं ऐसी चाहतें
कि मिलों दूर से कुछ कहूं मैं और बिना सुने ही तू सुन सके।

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