स्त्री पर अपना रोब जमाए
फिर
पवन पुत्र हनुमान को पूजे
काले धन से बड़ी कोठी सजाए
फिर
बंसी बजाते कनैया लाल को पूजे
भीतर छुपा है कण कण में विराट
क्यों
बाहर दिखावा उपर उपर से पूजे
जूठा पूजन उसका जूठी हे आशा
वोह
इंसान अपनी जूठी पहचान को पूजे-
शैतान छुपाए भीतर इंसान
फिर
उपर उपर से सिया राम को पूजे
पेट भर खाए काट मासूम जीव
फिर
सोमवार आए महादेव को पूजे
ना दया अपने मात पिता की
वोह
मंदिर जा हर देवी देव को पूजे
खेले बच्चों के भविष्य से इंसान
फिर
छोटी नागदेव की प्रतिमा को पूजे-
रोज़ थोड़ा तोड़ रही है
रोज़ थोडासा टूट रहा हूं
रोज़ थोड़ा छोड़ रही ज़िन्दगी
रोज़ थोडासा छूट रहा हूं
फिसल रही हाथों से रेत
रोज़ थोड़ा फिर कस रहा हूं
मुठ्ठी अब खाली होने लगी
हथेली अपनी अब खोल रहा हूं
रोज़ थोड़ी रूठ रही ज़िन्दगी
रोज़ मनाए जूझ रहा हूं
फिसल रही हाथों से रेत
रोज़ थोड़ा फिर कस रहा हूं-
चाहे भरलो नदिया सारी
चाहे भरलो सारा समंदर
टूटा गमला भरोगे कैसे
बहता रहे सब भरते भरते
निकला टूटी दरारों से सारा यही
इच्छाओं का भूखा घड़ा भरता नही
वासनाओं का प्यासा घड़ा भरता नही
देदो चाहे सारा आसमां
चाहे देदो अपार जमीन
खाली रहे मन भरोगे कैसे
पाकर भी सब वो खाली हाथ बैठा
फटा लालसा का दामन टूटे गमले सा
अपेक्षाओं का भूखा घड़ा कभी भरता नही
आशाओं का प्यासा घड़ा कभी भरता नही-
लड़किया चली सुंदर बनने की राह मे
लड़के लगे सब पैसे कमाने की भीड़ मे
दोनो तरफ लगी थी बड़ी प्यार की तलब
चले थे दोनो प्यार की तलाशमे
लडको ने बदला जीने का ढंग
लड़कियों ने सवारा नजाकत का रंग
दोनो तरफ लगी थी बड़ी प्यार की तलब
चले थे दोनो प्यार की तलाशमे
खोया किसीने जिस्म का खजाना
किसीने खोई जन्मों पुरखो की पूंजी
हाथ ना लगा किसिके प्यार का चमन
चले थे दोनो प्यार कि तलाशमे
अमीरों के पास हसीनोंको ना मिला प्यार
हसीनो के पास अमीरों को ना मिला प्यार
अब छोड़ पैसा और निखार फिर चले
चले दोनो प्यार की तलाशमे-
गम जबतक तेरा था वो गहरा था
जब गम मेरा हुआ किनारा हो गया
तकलीफ जबतक तुझे हुई में सहारा हुआ
जब तकलीफ मेरी हुई अब मैं बेसहारा हो गया
थामा था हाथ मैने हर रास्ते बेझिजक
जब में गिरा अब हाथ ये आवारा हो गया
पहाड़ टूटा तुझपे चट्टानों से दबा में भी था
बाड़ आई जब मुझपे तू फिर किनारा हो गया-
झेल नही पाता कोई आपकी ये खूबसूरती
देखे तो मरजाए ना देखे तो मरजाए
उसमे उपर से हल्की मुस्कान आपकी
बेहोश हुए मरजाए सांसे भी ना भरपाए
उलझी जुल्फों को लहराती हो नजाकत भरी उंगलियोसे
हवाएं आपको छूकर गुज़रे हम जल जल के मरजाए
मुलायमसी आवाज से करते हो जब गुफ्तगू
सुनले जो पिघलजाए एक शब्द भी ना केहपाए
कोमल कदमों से गुजरते हो पानी बन ए नाजनी
रुके हम बेहजाए या देखे तुम्हे फिसल जाए-
कोई हंसना भूल गया
कोई जीना भूल गया
मां बीवी के कलेश में फसा नादान
कोई बाते करना सांसे भरना भूल गया
कोई बस जलता है हरपल
कोई धूप में चलता है हरपल
कोई खाना भूल गया
कोई हर अफसाना भूल गया
कोई भागने लगा घर से दूर
किसीने पकड़ा मदिरा धतूरे का फूल
कोई चलपडा अजीब गलियों में
किसीने ढूंढा नया मकान नई बुलबुल-
झेल नही पाता कोई आपकी ये खूबसूरती
देखे तो मरजाए ना देखे तो मरजाए
उसमे उपर से हल्की मुस्कान आपकी
बेहोश हुए मरजाए सांसे भी ना भरपाए
उलझी जुल्फों को लहराती हो नजाकत भरी उंगलियोसे
हवाएं आपको छूकर गुज़रे हम जल जल के मरजाए
मुलायमसी आवाज से करते हो जब गुफ्तगू
सुनले जो पिघलजाए एक शब्द भी ना केहपाए
कोमल कदमों से गुजरते हो पानी बन ए नाजनी
रुके हम बेहजाए या देखे तुम्हे फिसल जाए-
झेल नही पाता कोई आपकी ये खूबसूरती
देखे तो मरजाए ना देखे तो मरजाए
उसमे उपर से हल्की मुस्कान आपकी
बेहोश हुए मरजाए सांसे भी ना भरपाए
उलझी जुल्फों को लहराती हो नजाकत भरी उंगलियोसे
हवाएं आपको छूकर गुज़रे हम जल जल के मरजाए
मुलायमसी आवाज से करते हो जब गुफ्तगू
सुनले जो पिघलजाए एक शब्द भी ना केहपाए
कोमल कदमों से गुजरते हो पानी बन ए नाजनी
रुके हम बेहजाए या देखे तुम्हे फिसल जाए-