ज़िंदगी पर अपनी किताब लिखूँगा,
उसमे सारे अपने हिसाब लिखूँगा,
प्यार को वक़्त गुज़ारी लिखकर,
चाहतों को मोहब्बत के बाद लिखूँगा,
और हुई मोहब्बत बर्बाद कैसे “शैलू”
कैसे बिखरे हैं ख़्वाब लिखूँगा,
तेरी आँखें शराब जैसी नीली,
चेहरा तेरा गुलाब लिखूँगा,
मैं तुझसे जुदा होने का सबब,
यार अपनी क़िस्मत ख़राब लिखूँगा।।
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