Shailesh Agravat  
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Joined 17 August 2021


Joined 17 August 2021
4 JAN 2022 AT 19:34

उल्लू कभी नहीं मानेगा वजूद रोशनी का,
उन्हें सिर्फ अंधेरे मे आँखें खोलनी है |

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26 DEC 2021 AT 19:15

अतीत कभी नही भूलता घर अपना,,
आप ही घर आयेंगे करम आपके |

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25 DEC 2021 AT 19:07

ईक फूल खील रहा था, उस बाग की गोद मे उस दिन,
हवाये बगावत पर थी और आग को संभालना था मुझे |
तोड देता पिंजरा और उड आता परिंद उस शाख पर,
पैड मजबूर थे,, और पत्ते को बचाना था मुझे |
गलत समझा गया वक्त की साजिशो मे मुझे,,
समझमे आ जाऊ तो छोड़ देना मुझे |


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3 DEC 2021 AT 20:39

उफान पर हो चाहे समन्दर कितना भी, कुद जाना चाहिए,
यु किनारे पे बैठकर दरिया पार नही होता,
मैं जानता हूँ तेरे हाथो मे है जो खंजर, ज्यादा तेज है
मगर कायरो से सिने पे वार नही होता |

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21 NOV 2021 AT 11:41

मैंने कभी किसी रूठे को नही मनाया,,,
क्योकी,,
मैंने कभी आसमान मे घर नही बनाया,,

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15 NOV 2021 AT 18:34

सितारे बहोत है टिमटिमाने को,
जमाना जिद पर है आसमाँ को चाँद के साथ देखे,
रोशनी अगर पैड जलाने से है, तो बुझादो आग को,
पैड को जमीँ से निकलने मे जमाना लगे |

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15 NOV 2021 AT 18:17

जो मेरा है वो मिला नही है,
जो मिला है वो मेरा नही है,
ले तो आये हैं ढुंढकर दोस्त मेरे,
उस शख्स सी शक्ल का कोई,
ईस लिबास मे मैने देखा नही उसे कभी,
ईस लिबास का शख्स मेरा नही है,
हम गुजर चुके है लबो की हर हरकत से,
उसके लबो की लज्जत जानता हूँ,
आग ने ही हवा दी थी आग को,
बदन तक की खुशबू पहचानता हूँ,
जो लड लेता था जमाने से ख़ातिर मेरे,
उसे ढूंढने की हिदायत थी हमारी,
ईसके मुंह मे तो जूबाँ ही नही है,
ये शख्स मेरा नही है,, ये शख्स मेरा नही |

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11 NOV 2021 AT 18:43

पर्दे मे था शहर आजतक,
मेरी आँखों से बादल हटे है,
घर सझाने मे लगी है पैडो की साँसे,
उसके ईस शौख मे,, ना जाने
कितने पैड कटे है |

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11 NOV 2021 AT 18:20

अब वो वफादारी की बाते नही कर सकता,
किनारे से लौटने वाला दरिया गलत नही कह सकता |

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2 NOV 2021 AT 19:33

मैंने अँबर पे उड़ते परिंद को
जमीँ पर आते देखा है,,
तूम अगर उंचाई पर हो तो,
मैं उसी जमीँ पर बैठा हूँ |

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