खुद को शायर समझता हूँ ना,
अपनी लिखाई में बहुत कुछ बोल जाता हूँ,

और जिद्दि भी तो हद से ज्यादा हूँ,
कहते कहते हर सत्य खोल जाता हूँ।

- स्याही की बूँदें