Dr. Shailendra Sharma (शोभांश)   (स्याही की बूँदें)
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Joined 7 November 2017


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ज़रूरी नहीं कि हर समय सबको बस खुश ही दिखूँ मैं
ज़रूरी नहीं कि अपनी हर कविता में बस प्रेम ही लिखूँ मैं

कभी दर्द, कभी पीड़ा, तो कभी तन्हाई के किस्से भी होंगे,
कभी आँसू, कभी ज़ख्म, तो कभी टूटे दिल के हिस्से भी होंगे

कभी मौन होगा, कभी रुदन, तो कभी खामोशी की चीखें भी होंगी
कभी सब कुछ पाकर भी सब कुछ खो देने की तारीखें भी होंगी

कभी कुछ रिश्ते मुँह मोड़ लेंगे, तो कभी हमदम साथ छोड़ देंगे
और कभी-कभी तो हम खुद ही हर किसी से नाता तोड़ लेंगे

तुम्हें हर बार खुशी ही पढ़नी है तो तुम बेशक मुझे पढ़ना छोड़ सकते हो
मेरे कुछ अपनों की तरह तुम भी मुझसे हर रिश्ता तोड़ सकते हो

डॉ. शैलेन्द्र शर्मा

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खुले आम घूम रहा है कोई नसीहत करता हुआ
कोई तो बताओ इसे की ये जुर्म है इस जहाँ में ।
डॉ. शैलेन्द्र शर्मा (शोभांश)

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हर ख़ामोशी गुनाह नहीं होती
हर तकलीफ़ सज़ा नहीं होती
यूँ तो गले लगा लेता है हर शख़्स
पर, हर आगोश पनाह नहीं होतो।

शैलेन्द्र शर्मा (शोभांश)

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तेरी यादों के खंजर से हुआ ज़ख्म और मेरा खून निकला
क़तरा-क़तरा कर मेरे सीने के अंदर से तेरा सुकून निकला।


डॉ. शैलेन्द्र शर्मा (शोभांश)

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दिल के जंगल में भटक रहे हैं ख़्याल मोहब्बत के
पर ज़हन में जिंदगी की कशमकश के मस'अले हैं

एक तरफ खिल रहे हैं ख्वाहिशों के नन्हें-नन्हें फूल
तो एक जरूरतों के कांटे हर कदम पर चुभ चले हैं।

डॉ. शैलेन्द्र शर्मा (शोभांश)

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सूरज की चाँद से बात हो गई
तारों की अचानक से बरसात हो गई

तेरी ही हरकत का तो असर है ये सारा
तूने ज़ुल्फ बिखराई और रात हो गई।


शैलेन्द्र शर्मा (शोभांश)

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__________Lyrics of my song__________

I have been walking for so long
I have been trying hard to belong,

I walked a few miles and ran a few
I was trying to keep myself along,

There were sleepless nights and days
When i have been trying to be strong,

I have loved, i have cried, i have failed
I have been right and sometimes wrong,

However it has been, it has been 'my' life
I will be me, as i am, and i will be lifelong,

It is not about others. It is about me
These are the lyrics of "my song."

These are the lyrics of "my song."

Dr. Shailendra Sharma (Shobhansh)

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एक दरिया है मेरे अंदर
जिसको बाँध रक्ख़ा है मैंने,
ग़र मैँ जो ज़ुबां खोल दूँ
तो एक सैलाब आ जाए।


डॉ. शैलेन्द्र शर्मा (शोभांश)

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To be or not to be
Was never the question,
But everybody is busy
In finding the solution.

They spend entire their life
Behind this emotion,
And ultimately left with
The same confusion...

To be or not to be ?

Dr. Shailendra Sharma

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बहुत कुछ लिख कर फिर मिटा दिया मैंने
कई सच्चाईयों को यूँ ही छिपा दिया मैंने

कभी फुर्सत से सोचता हूँ तो ये लगता है
न जाने कितने तूफानों को अंदर दबा दिया मैंने।


डाॅ. शैलेन्द्र शर्मा (शोभांश)

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