मंजिल मिलने पर सुनाएंगे सफर की दास्तां ,
क्या क्या छिन गया हमसे,
यहां तक पहुंचते पहुंचते...!-
Poet by heart 💜❤
हर पहाड़ , हर पर्वत पार कर सकते है तेरे साथ के लिए ,
हमारे किस्से कहानियां ही काफी है कायनात के लिए ,
अब तेरी तस्वीर से इश्क मुश्किल होगया है जान ,
तो बताओ कब आ रहे हो मुलाकात के लिए ।
तेरे आने का जश्न कुछ यूं होगा ,
मेने चांद रोक के रखा है एक रात के लिए ।-
Kuch baatein jo btani bahut zaruri thi , nhi bata paya ; Maaf karna ;
Kai rishte jo nibhane aham the , nibha nhi paya ; Maaf karna ;
Samjhte ho mujhe nakara , dgabaaz , besharam 'insaan'
Kya kaha dil dukhaya h mene apaka ; Maaf karna-
सुबह एक रईस बन कर घर से निकलता हैं,
और दिन ढले लावारिस मौत मर के घर आता है आदमी ।
क्या अजीब शहर है ये,
जहा मुर्दे आराम से कब्र में लेटे है ,
और जिंदा लाश बन शहर भर के रोटी कमाता है आदमी ।
कैसे बदलता है वक्त देखो ,
जो कभी जंगल का शेर हुआ करता था ,
वो कुता बन कर चूहों के सामने दुम हिलाता है आदमी ।
ये कैसी जिंदगी है ,
जो कभी दरियादिल हुआ करता था ,
जिंदा रहने के लालच में , हर रोज मर जाता है आदमी ।
दोस्ती भी ऐसी हुई ,
जो कभी यारो का यार हुआ करता था ,
चांद झुठी खुशियों के लिए , गद्दार बन जाता है आदमी ।
ऊची इमारतों और जिस्म के दिखावे में रह गया ,
रोटी हाथ में होते हुए भी भूखा मर जाता है आदमी ।
ख्वाब थे जमाने की खिलाफ भी बुलंदियों तक पहुंचने के ,
वही यार , प्यार और घरबार के बीच में ही पीस कर मर जाता है आदमी ।-
"इश्क"
यहां बारिश तो हुई है कई मर्तबा
मगर मैं ज़रा सा भी भीगा नहीं हूं ...
तकता तो रहता हूं परिंदो को
मगर कुछ वक्त से मैं संग उनके उड़ा नहीं हूं .
कभी लगता है बहुत तेज़ भाग रहा हूं कहीं .
कभी लगता है इक जगह से देर तक हिला नहीं हूं ...
कई दिनों से तुझसे बात हुई नहीं है ...
कई दिनों से मैं खुद सा नहीं हूं ...
धूप दरख़्त शोर चाय सुकून दुकानें ख़्वाब और लोग
मन भरने को सबसे मिलता रहता हूं फिर भी भरा नहीं हूं ..-
तुझे ले के बाहों मे सो जाऊं मैं ,
तेरी अदाओं में कही खो जाऊं मैं ,
तेरे केशूओ को देर तक सहलाऊ मैं ,
फिर ले कर तेरा हाथ मेरे हाथों मे
दिल खोल आंसू बहाऊ मैं .
और धीरे से कह दू तुम्हे...
बहुत याद आती ही तुम ।-
आज हम दोनो को फुर्सत है चलो इश्क करे ,
इश्क दोनो की जरूरत है चलो इश्क करे ।-
सारा दिन सौदेबाजी में बीत गया , जैसे सांस लेना भी हराम हो जाए,
आजाओ यारो दिन छिप गया , एक - एक जाम हो जाए ।
वो जो ख्वाबों में आके मुझे सोने नही देती ,
आज इतनी पिलाओ की शहर का हर मयखाना उसके नाम हो जाए।
हसरतों का समंदर अब नहीं रहा दिल में ,
ख्वाहिश बस इतनी है ,
मैं शराबी पियक्कड़ बनू और वो हसीना मेरी शराब का जाम हो जाए।-
तुझे गले लगाऊं तो यू आराम मिले ,
जैसे किसी बेरोजगार को काम मिले ।-