shailendra Negi   (Shailendra Negi)
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Wrotes feelings....
Joined 21 January 2021


Wrotes feelings....
Joined 21 January 2021
1 JUN 2021 AT 13:14

हरते रहना , में देखने आऊंगा,
हर लम्हा , मेरी याद में होगा,
तुम्हारी हर वजह मे, में , हुंगा,
बातो में मेरा, ही जिक्र होगा।

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21 MAY 2021 AT 12:33

किसी से मत पूछो ,कि मुझे क्या करना है,
अपने आप से पूछो ,कि तुझे क्या करना है

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15 MAY 2021 AT 23:06

याद आज भी है मुझे
याद आज भी है मुझे
हम तीनों की यारी,
हम तीनों की शैतानी,
हम तीनों की मनमानी,
हम तीनों का यूं ही मिलना, मिलते ही एक हो जाना,

यूं ही हर बात पर, एक दूसरे पर तंज कसना,
यूं ही हर बात पर, एक दूसरे की नाक खींचना,

यूं ही मैं अकेला हो जाता,
तुम्हारे डांटने से , मैं फिर चला आता,
कभी मुझे पराया ना समझा, हर समय मुझे अपना भाई समझा,

दोस्ती हो तो ऐसी,
सार्थक, हरिंदर और शैलेंद्र जैसी।


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15 MAY 2021 AT 13:27

कैसा समय आया है
कैसा समय आया है

जीने मरने का, सिलसिला फिर आया है,
थम जा जरा, ये कैसा दौर आया है,

झुलसा दिया है ,हमें
बंद कमरे ने, मार दिया, हमें
तपन सी है अंदर, बाहर तो करोना ,है

कैसा समय आया है
कैसा समय आया है

इसे हर तरफ अशांति का माहौल बना आया है
किधर से आया है, कौन लाया है



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15 MAY 2021 AT 13:17

सुना था अच्छे दिन आने वाले हैं,
अब पता चला, घर में बैठे हैं और बुरे दिन चल रहे हैं,

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15 MAY 2021 AT 7:07

एक नया सवेरा आज फिर आया ‌है,
देखें जरा क्या कुछ खास लाया है
आसमानों पर नीले बादल,
शीतल सी हवा‌ लिए , आज फिर एक‌ नया सवेरा आया ‌है,

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13 MAY 2021 AT 23:35

आशुओं का सहारा है,
जीने का बस यही एक चारा ‌है,
आते हैं हर रोज, बताते नहीं,
छुप जाते‌ हैं हर रोज, दिखाते नहीं,
बड़े ही नाजुक हैं, कहीं टूट न जाए
फूलों से ‌है , कहीं सूख न जाए,

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8 MAY 2021 AT 23:42

मेरी मां
मेरी मां थी,
आज नहीं है,
याद आज भी है,
हर पल
हर क्षण
मानो आस -पास ही है,
याद है, मां को,
जिसकी गोद में खेलता था,
जिस की झोली में रोता था,
जिसकी बोली बोलता था,
जिसकी नजरों से दूर नहीं होता था,
याद आज भी है ,‌ मां को,

याद है वह प्यार तेरा,
यूं ही कमरे में बंधक था मैं तेरा,
याद है, वो अटूट बंधन, तेरा
मां मुझे ,तू चाहिए
एक बार फिर मैं ,तेरे हाथों में होना चाहिए

याद है मुझे तेरी बात,
अगर मां ना हो तो ढूंढना मत,
कभी किसी से पूछना मत,
सपनों में आऊंगी, समझा तुझे जाऊंगी।

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4 MAY 2021 AT 21:59

छू लो जरा ,इन आंसुओं को,
छू लो जरा ,इन आंसुओं को,

कुछ कह नहीं पाते हैं,
यूं ही बह जाते हैं,
सच तो यह सब जानते हैं,
फिर भी कुछ कह नहीं पाते,
हर आंसू गवाह ‌ है, हर खामोशी का,
इनसे क्या छुपाना, ये सब कुछ जानते हैं,

छू लो जरा इन आंसुओं को
छू लो जरा इन आंसुओं को
क्यों सुख जाते हैं, वापस लौट के नहीं आते है,
आंखों में भर आते हैं, बूंद बन कर वहजाते हैं,

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30 APR 2021 AT 22:18

मैं लिखता हूं,
मैं लिखता हूं,
हर लम्हे को
हर चेहरे को
हर दर्द को

उन वहती हवा हो, में लिखाता हूं
अद्भुत चरित्र तेरा,

इन हवाओं से आंखे मिलाता हूं
इन हवाओं से दोस्ती करता हूं

ना जाने इन हवाओं , से संबंध क्या है मेरा।
मेरी हर खुशी में, हवा बन जाती है,
मेरे हर सफर में,लहर बन जाती है,
मेरी हर खामोशी में, ख़ामोश हो जाती है

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