Shailendra Kumar   (#अहम् ✍️)
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Joined 10 December 2021


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Joined 10 December 2021
28 APR AT 21:53

अफसोस रहेगा मुझे

पसंद किए जाने के लायक नहीं बन पाया
कभी खयाल ही नहीं आया पहले
कि इस दौर से भी कभी गुजरना पड़ेगा

तुम्हारी आंखों में वो नज़रिया नहीं जगा पाया
कि जो मेरी नज़र के ख्वाबों को खोज सके
जो गर्म समंदर को छू सके

कई दफे तुम्हारा नाम लिखा ~ मिटाया
गीली सी रेत पर
कभी लहरें बहा कर ले गईं

एक लतीफा सा बन कर रह गया हूं
मेरा जिक्र करके लोग हंसते हैं
महफिलों में अब घुटन सी होने लगी है

न जानें क्यूं अंधेरा ही ढूंढता है मन
रोशनी अब सीसे जैसी चुभती है
चमक जैसे काटने को दौड़ती है

हमेशा ग़म ही बांट पाया हर किसी को
जैसे जीवन विराम खोज रहा है
ज़िंदगी बस एक हादसा है

अफ़सोस.....

#अहम✍️





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13 APR AT 22:39

अब कुछ कहने की हिम्मत नहीं
शायद इसलिए लिखते हैं

तुम्हें सुनने की फुरसत नहीं
शायद इसलिए लिखते हैं

भूलने के लिए बहुत कुछ है मगर
तुमको याद करने के लिए लिखते हैं

तुम्हारी जेहन में झूठा हूं शायद
बेगुनाह साबित होने के लिए लिखते हैं

तुमने की होगी मेरी बदनामी मगर
तेरा नाम छुपाने के लिए लिखते हैं

कहीं भरते भरते निकल न जाए दम
हम ग़म खाने के लिए लिखते हैं

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4 APR AT 20:23

आंखों में बस गई है रात
अब ये चमकती नहीं
पानी में चांद के प्रतिबिंब को देखकर
दौड़ता नहीं है मन
किसी नादान की तरह
उछलता नहीं दिल में उम्मीद भर कर
भरा नहीं है कुछ भी
बस खाली खाली सा लगता है

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4 APR AT 20:20

आंखों में बस गई है रात
अब ये चमकती नहीं
पानी में चांद के प्रतिबिंब को देखकर
दौड़ता नहीं है मन
किसी नादान की तरह
उछलता नहीं दिल में उम्मीद भर कर
भरा नहीं है कुछ भी
बस खाली खाली सा लगता है

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4 APR AT 20:18

आंखों में बस गई है रात
अब ये चमकती नहीं
पानी में चांद के प्रतिबिंब को देखकर
दौड़ता नहीं है मन
किसी नादान की तरह
उछलता नहीं दिल में उम्मीद भर कर
भरा नहीं है कुछ भी
बस खाली खाली सा लगता है

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4 APR AT 20:00

" फिर क्या
मैंने सारी हसरतें छोड़ दी
मेरी आखिरी ज़िद
तुम थे "

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22 MAR AT 15:07

जब भी कोई आपकी मदद करने का प्रयास करता है तो आप यदि उसका मजाक बना देते हैं जब कि उस समय वो पर्याप्त शक्ति का इंसान नहीं होता।
फिर बाद में कभी उसकी जरूरत पड़ी आपको तो वो आपकी मदद का करने का प्रयास नहीं करता जब कि अब वह शक्तिशाली भी हो गया है।
कभी कभी व्यक्ति आपके लिए बुरा नही बनता बल्कि उदासीन हो जाता है और उसका यह व्यवहार आपके द्वारा किए गए कृत्यों पर निर्भर करता है।
व्यक्ति भले ही समय के साथ सब कुछ भूल जाए लेकिन आपके द्वारा दिए गए सम्मान और अपमान को कभी भी नहीं भूलता।

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11 MAR AT 11:24

कभी कभी लगता है कि
नैतिकता की आदतें सिखला कर
इंसान को बेवकूफ बनाया गया है
उसे दुखों की गहरी खाई में धकेल दिया गया है
जहां वो भटक रहा है और
तलाश कर रहा है
अपने ही जैसे दूसरे व्यक्तियों को
जैसे संसार का सारा बल प्रयोग
उसी पर किया जा रहा है
उसकी शक्तियों को परखा जा रहा है
कि कितने ज्यादा टुकड़ों में वो टूट सकता है
कितने दर्द वो बर्दाश्त कर सकता है
विनम्रता महत्वहीन होती जा रही है
सरल स्वभाव में जटिलता भरी जा रही है
जिसका परिणाम है
बस अकेलापन......

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14 FEB AT 23:18

जब जनता तोड़ती है
सार्वजनिक संपत्ति को
तो उसे देशद्रोही करार कर दिया जाता है
जब हुजूर तुड़वाते हैं
घर, मकान और दुकान
तो देशप्रेम की झलक दिखती है

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14 FEB AT 22:59

सपने बहुत अच्छे लगते हैं
हकीकत कितना बुरा लगता है
पर हकीकत भी अच्छे लगने लगते हैं
जब एहसास होता है कि
हक़ीक़त भी सपने ही होते हैं
एक दिन तो सब बदल जाना है
वो सब कुछ जो तुम्हें अच्छा लगता है
वो सब कुछ भी जो तुम्हें अच्छा नहीं लगता
यहां स्थाई कुछ भी तो नहीं।

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